
युद्ध भले ही इंसानों के अहंकार और देशों के बीच संसाधनों के झगड़े को लेकर होते हों, लेकिन उनका सबसे बड़ा
खामियाजा मूक जानवरों को भुगतना पड़ता है। ये दो तस्वीरें ऐसी ही मानवजनित त्रासदियों की हैं, जिनके कारण लाखों बेजुबान जानवर असमय मारे गए थे।
पहली तस्वीर सन् 1916 की है, जब प्रथम विश्व युद्ध का शुरुआती दौर चल रहा था। तब बम विस्फोटों, बंदूकों से निकली गोलियों और तोपों के गोलों आदि में उपयोग किए गए बारूद से वातावरण इतना दूषित हो गया कि जानवर मरने लगे। युद्ध क्षेत्र में जाने वाले घोड़े बारूद मिश्रित हवा के कारण मूर्छित होकर गिर पड़ते और फिर कभी नहीं उठते।
इससे निपटने के लिए तब मास्क बनाकर घोड़ों को पहनाए गए ताकि वे युद्ध के दौरान जिंदा रहें और लड़ाई में बने रहें। दूसरी तस्वीर, लंदन की है, जहां दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इतना प्रदूषण हुआ कि घोड़ों के लिए विशेष मास्क डिजाइन करना पड़ गए। इन्हें पहनने के बाद घोड़ों की सिर्फ आंखें बाहर की ओर देख सकती थीं और नाक वाले हिस्से के आगे लगे फिल्टर से वे सांस ले सकते थे।
आश्चर्य कि मनुष्य ने मास्क बना लिए लेकिन दुनिया के बर्बाद होने की हद तक भी युद्ध नहीं रोके। नतीजतन, लाखों घोड़े, कुत्ते, बैल जैसे उपयोगी और वनों में लाखों जंगली जानवर बेमौत मारे गए।