दीपक भोरिया (51 किग्रा), मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा) और निशांत देव (71 किग्रा) की तिकड़ी मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में शुक्रवार को यहां रिंग में उतरेगी तो उसकी कोशिश भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को और बेहतर करने की होगी। इन तीनों मुक्केबाजों ने सेमीफाइनल में पहुंच कर पहले ही कांस्य पदक सुनिश्चित कर लिये हैं। पदकों के संख्या के लिहाज से यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारतीय मुक्केबाजों के लिए अच्छी बात यह भी है कि तीनों पदक ओलंपिक श्रेणी में सुनिश्चित हुए हैं। सितंबर अक्टूबर में एशियाई खेलों का आयोजन होना है, जो ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट होगा।अमित पंघाल (रजत पदक) 2019 में फाइनल में पहुंचने वाले भारत के पहले पुरुष मुक्केबाज बने थे और अब दीपक, हुसामुद्दीन और निशांत के पास पंघाल की बराबरी और उनसे बेहतर करने की चुनौती है। यह हालांकि इतना आसान नहीं होगा क्योंकि फाइनल में जगह पक्की करने के लिए तीनों को मुश्किल चुनौती का सामना करना होगा। दीपक के सामने विश्व चैम्पियनशिप के दो बार के पदक विजेता बिलाल बेनामा की चुनौती होगी। फ्रांस के बेनामा यूरोपीय चैम्पियन है और वह भी अपने दो कांस्य पदक के रंग को बदलने के लिए आतुर होंगे। हुसामुद्दीन क्यूबा के साइडेल होर्टा से भिड़ेंगे। होर्टा ने क्वार्टर फाइनल में विश्व और एशियाई चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी सेरिक तेमिरझानोव को हराया था।
निशांत फाइनल में जगह बनाने के लिए कजाखस्तान के एशियाई चैंपियन अस्लानबेक शिमबेरगेनोव से भिड़ेंगे। यह दीपक के लिए शानदार मौका है कि वह दुनिया के पूर्व नंबर एक पंघाल के रजत पदक जीतने के कारनामे को दोहराएं या बेहतर करें। पंघाल लंबे समय से इस भार वर्ग में पहली पसंद रहे हैं। दीपक का पहला बड़ा पदक 2019 एशियाई चैंपियनशिप में आया था। उन्होंने वहां रजत पदक जीता था। वह 2021 में प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में उपविजेता रहे। इस 25 साल के मुक्केबाज ने 2021 और 2023 के राष्ट्रीय खिताब जीते और नये चयन मानदंडों के आधार पर उन्हें इस टूर्नामेंट के लिए पंघाल की जगह चुना गया।
दीपक ने अब तक के अपने प्रदर्शन से हाई परफार्मेंस निदेशक बर्नार्ड डन और कोच दिमित्री दिमित्रुक के विश्चास को सही साबित किया। दीपक का बायें हाथ से लगाया गया पंच काफी कारगर रहा है। उन्होंने तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता साकेन बिबोस्सीनोव को हराकर बड़ा उलटफेर किया था। दूसरी ओर, निजामाबाद के हुसामुद्दीन को विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। उन्होंने हालांकि अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए इस इंतजार को सार्थक बना लिया। 29 साल का यह खिलाड़ी अपने पहले अभियान में पदक जीतने में सफल रहा। दो बार के राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता हुसामुद्दीन टीम में सबसे अनुभवी मुक्केबाजों में से एक है।
निशांत 2021 विश्व चैंपियनशिप के अपने पहले प्रयास में क्वार्टर फाइनल में पहुंच कर सुर्खियों में आये थे। वह तब मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे, लेकिन उन्होंने इस बार इसकी भरपाई कर दी। इस सत्र से पहले भारत ने एक रजत पदक (पंघाल 2019 में) और छह कांस्य हासिल किये हैं। कांस्य पदक जीतने वालों में विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्ण (2011), शिव थापा (2015), गौरव बिधूड़ी (2017), मनीष कौशिक (2019) और आकाश कुमार (2021) शामिल हैं।