नई दिल्ली। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फेडरेशन (एनएफसीएसएफ) ने बुधवार को सितंबर को समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष 2022-23 के लिए चीनी उत्पादन अनुमान को घटाकर 3.27 करोड़ टन कर दिया है। पहले उसने 3.55 करोड़ टन के उत्पादन का अनुमान लगाया था।
संशोधित चीनी उत्पादन अनुमान, हालांकि, विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में तीन करोड़ 59.2 लाख टन के वास्तविक उत्पादन से 8.88 प्रतिशत कम है।
एनएफसीएसएफ ने बयान में कहा कि देशभर में लगभग 531 चीनी मिलों ने 30 अप्रैल तक तीन करोड़ 20.3 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। 531 चीनी मिलों में से 67 मिलें अभी भी चालू हैं।
एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने कहा, ‘‘पेराई की मौजूदा गति को देखते हुए देश में मौजूदा चीनी सत्र मई के अंत तक चलेगा और लगभग तीन करोड़ 27 लाख टन ताजा चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा लगभग 45 लाख टन चीनी शीरे को एथनॉल उत्पादन के लिए उपयोग में लाये जाने का अनुमान है।
एनएफसीएसएफ ने कहा कि उसका अनुमान गन्ने और चीनी के उत्पादन की ताजा जानकारी पर आधारित है।
सहकारी निकाय के अनुसार, महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन पहले ही अनुमान के अनुसार एक करोड़ 5.3 लाख टन तक पहुंच चुका है, लेकिन पिछले वर्ष के एक करोड़ 37.3 लाख टन से अब भी कम है।
उत्तर प्रदेश में, एक करोड़ पांच लाख टन के पहले के अनुमान के मुकाबले मौजूदा उत्पादन अप्रैल तक एक करोड़ 1.9 लाख टन तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के 1.02 करोड़ टन से थोड़ा अधिक है।
जबकि कर्नाटक में 56 लाख टन के अनुमान के मुकाबले अप्रैल तक चीनी उत्पादन 55.5 लाख टन तक पहुंच गया है, लेकिन यह स्तर विपणन वर्ष 2021-22 के 61.5 लाख टन के चीनी उत्पादन से कम है।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक देश के शीर्ष तीन चीनी उत्पादक राज्य हैं।
एनएफसीएसएफ के अनुसार, देश में औसत चीनी प्राप्ति के मामले में गुजरात 10.80 प्रतिशत चीनी प्राप्ति के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद कर्नाटक (10.10 प्रतिशत), तेलंगाना (10.10 प्रतिशत), महाराष्ट्र (10 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (9.70 प्रतिशत), बिहार (9.70 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (9.65 प्रतिशत) का स्थान है।