नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के संक्रामक रोग अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण नवाचार केंद्र (CIIDRET) तथा दिल्ली स्कूल ऑफ स्किल एनहांसमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (IoE-DSSEED) द्वारा संयुक्त रूप से “100 दिवसीय कौशल महोत्सव” का समापन समारोह डीयू के कान्फ्रेंस सैंटर में मंगलवार, 09 मई को आयोजित किया गया। इस अवसर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी, आईएएस मुख्यातिथि और डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। समारोह के दौरान एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो सम्मानित अतिथि के तौर पर उपस्थित रही। इस अवसर पर महोत्सव के सहभागियों,प्रशिक्षुओं, रिसोर्स पर्सन्स और स्वयंसेवकों को सम्मानित भी किया गया।
समारोह के दौरान बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि भारत के युवाओं के विकास और देश के समग्र विकास के लिए स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग जैसी पहलें महत्वपूर्ण हैं। उन्होने सीखने, सहयोग करने और नेटवर्किंग को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में कदम उठाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय, सीआईआईडीआरईटी (CIIDRET) और डीएसएसईडीई (DSSEED) को बधाई भी दी। उन्होने कहा कि इन कोर्सों के माध्यम से प्राप्त हुए उपकरणों और तकनीकों के संपर्क में आने से न केवल रोजगार में वृद्धि होगी बल्कि इनोवेशन एवं इंटरप्रेन्यूरशिप को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होने आगे कहा कि आज हम दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना की शताब्दी मना रहे हैं, ऐसे में हमें भावी व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए अपने युवाओं को तैयार करते हुए समग्र कौशल वातावरण के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में अपस्किलिंग और रीस्किलिंग को जारी रखना चाहिए। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अमृत काल में आगे बढ़ने के लिए विद्यार्थियों को शिक्षा और कौशल दोनों जरूरी हैं। तिवारी ने कौशल महोत्सव को दिल्ली विश्वविद्यालय की अनुकरणीय पहल बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय सरकार की योजनाओं के साथ कदम से कदम मिलकर बढ़ रहा है, यह अच्छी बात है। इस इनोवेटिव कार्य के लिए डीयू के सिस्टम को बधाई देते हुए उन्होने कहा कि उनकी ओर से सीआईआईडीआरईटी के लिए जो भी संभव सहयोग होगा वो करेंगे। उन्होने कहा कि यह कार्य मात्र 100 दिनों पर ही समाप्त नहीं होना चाहिए, बल्कि आगे भी बढ़ना चाहिए।
कार्यक्रम के आरंभ में सीआईआईडीआरईटी की निदेशक प्रो. अमिता गुप्ता ने सभी का स्वागत किया। उन्होने “100 दिवसीय कौशल महोत्सव” पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि “बियॉन्ड क्लासरूम लर्निंग” कार्यशालाओं के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने से बेहतर रोजगार के लिए उनकी शिक्षा में मूल्य वृद्धि होगी और वह इनोवेशन एवं इंटरप्रेन्यूरशिप की ओर बढ़ेंगे। उन्होने कहा कि स्किलिंग केवल रोजगार के लिए एक मार्ग के रूप में नहीं है बल्कि स्किलिंग प्रौद्योगिकी निर्माण और आत्मनिर्भरता का प्रवेश द्वार भी है। प्रो. गुप्ता ने कहा कि अपस्किलिंग के साथ इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले स्किलिंग हब की स्थापना और प्रचार किया जाना चाहिए। समारोह के अंत में अपने समापन संबोधन में डीएसएसईईडी के मानद निदेशक प्रो. वी.के. चौधरी ने कहा कि “100 दिवसीय कौशल महोत्सव” एक उदाहरण है जिसे अन्य विषय क्षेत्रों में विस्तारित करने की आवश्यकता है ताकि कौशल, सभी स्तरों पर, शिक्षा पाठ्यक्रम का एक अंतर्निहित और अविभाज्य हिस्सा बन जाए।