भारत के बने बेहतरीन और खुबसूरत किलों को देखकर आज भी इस देश का पुराना इतिहास याद आता है। जोकि आक्रमणकारियों से अपने बचाव के लिए दुर्गम जगह पर मौजूदगी, बेहतरीन रहस्यमयी बनावट और भव्यता के कारण ये किले पूरी दुनिया में फेमस है। इनकी भव्यता देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा।
भारत में कई ऐसे किले है जिनतके बारें में जानने के लिए कई लोगों की पूरी जिंदगी चली गई लेकिन उनके बारें में ज्यादा कुछ न जान सके। ऐसे ही कुछ खूबसूरत और रहस्यमयी किलों के बारें में हम आपको अपनी खबर में बता रहे है। जोकि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कई किले प्रेम के प्रतीक के कारण, तो कई शहीदो के खून ने रंगी दीवारों के कारण प्रसिद्ध है। जानिए ऐसी ही कुछ ऐतिहासिक किलों के बारें में।
लाल किला
दिल्ली का लाल किला विश्व का सबसे प्रसिद्ध किला है। मुगल सम्राटों ने दिल्ली और आगरा में ऐतिहासिक भवनों का निर्माण किया। आगरे के ताजमहल की तरह दिल्ली का लालकिला भी विश्व की ऐतिहासिक स्मारक है। लालकिला यमुना के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसका निर्माण शहांजहा ने सन् 1648 में कराया था। लाल पत्थर से बने होने के कारण इसे लालकिला कहा जाता है।
इस किले के चारों तरफ गहरी खाई है जो की सुरक्षा के लिए बनवाई गई थी। लाल किले के मुख्य द्वार से अंदर जाते ही मीना बाजार में प्रविष्ट होते हैं, जहां आज भी कलात्मक वस्तुओं का व्यापार होता है। इस किलें में अनेक भव्य इमारते है। दीवाने आम और दीवाने खास विशेष दर्शनीय हैं। लाल किला आज भी हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। आज भी इसकी प्रचीर पर स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा लहराता है। हर साल भारत के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लालकिले पर तिरंगा फहराते हैं।
आगरा का किला
आगरा किला भारत का एक अति प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण किला है। यह किला आगरा शहर में यमुना नदी के दांए तट पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह किला बादलगढ़ नाम के एक प्राचीन गढ़ के अवशेष पर स्थित है। 1517 ई. में सिकन्दर लोदी की मृत्यु के बाद उसके पुत्र इब्राहीम लोदी के नियंत्रण में यह किला आया औार भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर से 1526 ई. में पानीपत की लड़ाई में पराजित और मृत्यु को प्राप्त होने तक उसके अधीन रहा।
बाबर ने अपने पुत्र को आगरा भेजा जिसने किले को अपने अधीन किया और विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा सहित भारी मात्रा में धन दौलत को जब्त कर लिया। इसी किले में भारत के मुगल शासक, बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब रहा करते थे और भारत पर शासन किया करते थे। अपने वास्तुशिल्प, नक्काशी और सुंदर रंग-रोगन के साथ इसकी भव्यता ने इसे देश के सभी किलों में से सबसे बेहतरीन बनाया है।
इस किले को कभी-कभी लाल किला भी कहा जाता है। न सिर्फ लाल रंग, बल्कि दिल्ली स्थित लाल किले से इसकी वास्तुशिल्प शैली और डिजाइन भी काफी मिलती है। दोनों ही किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। यही कारण है कि जब पर्यटक आगरा के किले को देखते हैं, तो उन्हें दिल्ली का लाल किला याद आ जाता है।
सोनार का किला
ये किला राजस्थान में स्थित है। इसका नाम सोनार इसलिए रखा गया क्योंकि सुबह जब सूरज की किरणें इस किले पर पड़ती थी तब ये किला सोने की तरह चमकता था। रेगिस्थान में स्थित होने की वजह से इसे दुर्ग भी कहा जा सकता है। इसे 1156 ई0 में एक भाटी राजपूत शासक जैसल द्वारा त्रिकुरा पहाड़ी के शीर्ष पर निर्मित किया गया था।
जैसलमेर किले में कई खूबसूरत हवेलियां या मकान, मंदिर और सैनिकों तथा व्यापारियों के आवासीय परिसर हैं। यह किला एक 30 फुट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है। यह एक विशाल 99 बुर्जों वाला किला है। वर्तमान में यह शहर की आबादी के एक चैथाई के लिए एक आवासीय स्थान है।
किला परिसर में कई कुएं हैं जो यहां के निवासियों के लिए पानी का नियमित स्रोत हैं। यह किला राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का आदर्श संलयन दर्शाता है। दशहरा चैक में स्थानीय शिल्प और हस्तकला की बेहद खूबसूरत वस्तुओं की छोटी-छोटी दुकानें हैं जिन पर कांच जड़े वस्त्र, चादरें, फ्रेम और कई अन्य कलात्मक वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं।
पन्हाला का किला
पन्हाला किला पन्हाला क्षेत्र के लिए एक चिन्हक किला है। इस स्मारक का निर्माण लगभग 900 साल पहले 12 वीं शताब्दी में राजा भोज ने कराया था। यह स्मारक आपको उस समय के इतिहास में ले जाता है जब मराठा भारत में महान शासक थे।
इस किले ने दशकों से पर्यटकों के झुण्ड को अपनी ओर आकर्षित किया है और अभी भी कर रहा है। इस किले का निर्माण सुरक्षा के उद्देश्य से किया गया था और यहां पर प्रवेश मजबूत दुहेरी दीवारों से किया जा सकता था। यहां पर शिवाजी ने छुपकर पूरे 500 दिन गुजारे थे। बाद में साल 1827 ई. में पन्हाला अंग्रेजों के अधीन हो गया था।
सिंधुदुर्ग किला
सिंधु और दुर्ग ये दो नामों से मिलकर बना है सिंधु का अर्थ है समुद्र और दुर्ग का अर्थ है किला। यह महान मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी ने साल 1664 से 1667 के बीच करवाया था। जो कि मुंबई से 400 किमी दूर समुद्र के बीच में बना हुआ है। इस किले की सुंदरता है कि यह इस तरह से बनाया गया है कि यह अरब सागर से आ रहे दुश्मन द्वारा आसानी से नहीं देखा जा सकता है।