इंचियोन/नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक मजबूत एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे एडीबी की जरूरत है, जो सतत और जुझारू क्षेत्रीय विकास के लिए वृद्धिशील नहीं, बल्कि बदलाव वाला रुख अपनाए।
सीतारमण ने गुरुवार को एडीबी के गवर्नर बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। केंद्रीय वित्त मंत्री यहां एडीबी की 56वीं वार्षिक बैठक में भाग लेने आई हैं। भारत 1966 में गठित इस बहुपक्षीय वित्तीय एजेंसी का न केवल संस्थापक सदस्य है बल्कि चौथा सबसे बड़ा शेयरधारक भी है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना के बाद की दुनिया में विकासशील देशों के सदस्यों (डीएमसी) को एडीबी से अधिक संसाधनों और परिचालन दक्षता की उम्मीद है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज दुनिया ईंधन, भोजन, उर्वरक, ऋण, ऊर्जा, आपूर्ति श्रृंखला, वित्तीय स्थिरता आदि के ‘पुनर्स्थापना’ के दौर से गुजर रही है। ऐसे में हमें एक मजबूत एडीबी की जरूरत है, जो वृद्धिशील के बजाय बदलाव वाला रुख अपनाए। उन्होंने कहा कि एडीबी को गरीबी कम करने और कम आय वाले देशों (एलआईसी) के विकास के अपने मुख्य एजेंडा पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं (जीपीजी) पर भी गौर करना चाहिए।
सीतारमण ने कहा कि एडीबी की सालाना बैठक का विषय ‘रिबाउंडिंग एशिया रिकवर, रिकनेक्ट एंड रिफॉर्म’ है, जो भारत की जी20 की अध्यक्षता की भावना और विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अनुरूप है। भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सीतारमण ने कहा कि मौजूदा आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद यह मजबूत हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत जलवायु वित्त सहित अन्य मुद्दों पर एडीबी को समर्थन देता रहेगा।