नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि रेडियो पर हर माह प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए उन्होंने जनता से जुड़े जो भी मुद्दे उठाए हैं वे सब जन आंदोलन बने हैं और उनसे लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है।
श्री मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात की 100वीं कड़ी के प्रसारण के दौरान कहा कि इस कार्यक्रम में उन्होंने जिस विषय को भी उठाया वह आंदोलन बन गया। मन की बात के जरिए देश के आम लोगों से जुड़ने का मौका मिला और उनके परंपरा से हटकर की किए जा रहे कार्यों से भी रू-ब-रू होने का इसके जरिये अवसर मिला।
उन्होंने कहा, “मेरे लिए मन की बात की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि हर बार मुझे नये नये उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार देखने को मिला। ‘मन की बात’ में देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े। बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आन्दोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात हो, ‘मन की बात’ के जरिये जिस विषय से भी जुड़ा, वे सब जन-आंदोलन बन गए।”
श्री मोदी ने कहा, “ जब मैंने, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा ‘मन की बात’ की थी तो इसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी। आप कल्पना करिए, मेरा कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन पहाड़ी और बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहा है, कितने ही लोग 30-30 साल से जल-संरक्षण के लिए बावड़ियां और तालाब बना रहे हैं, उसकी साफ़-सफाई कर रहे हैं। कोई 25-30 साल से निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है, कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार ‘मन की बात’ में इनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हुआ हूँ।”
उन्होंने आगे कहा, “‘मन की बात’ की एक और विशेषता रही है कि इसके जरिए कितने ही जन-आन्दोलन ने जन्म भी लिया है और गति भी पकड़ी है। जैसे हमारे खिलौने उद्योग को फिर से स्थापित करने का मिशन ‘मन की बात’ से ही तो शुरू हुआ था। इसी तरह से भारतीय नस्ल के श्वान यानी हमारे देशी डॉग्स को लेकर जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत भी तो ‘मन की बात’ से ही की थी। हमने एक और मुहिम शुरू की थी कि हम ग़रीब छोटे दुकानदारों से मोलभाव नहीं करेंगे, झगड़ा नहीं करेंगे। जब ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम शुरू हुई, तब भी ‘मन की बात’ ने देशवासियों को इस संकल्प से जोड़ने में खूब भूमिका निभाई। ऐसे हर उदाहरण समाज में बदलाव का कारण बने हैं।”