मल्टीमीडिया डेस्क। टीपू सुल्तान की जयंती मानने के लेकर कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कर्नाटक सरकार के फैसले से राज्य में सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है, ताकि पक्ष या विपक्ष में कोई भी रैली न हो। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं टीपू सुल्तान के बारे में कुछ रोचक बातें। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फ़क़रुन्निसा था।
हैदरअली प्रसिद्ध धर्म-गुरु टीपू मस्तान ऑलिया को काफी मानते थे, जिसके बाद अपने स्वयं के पुत्र को वह टीपू कहकर ही पुकारते थे। यही कारण है कि सुल्तान फतेह अली खान शाहाब आगे चलकर ‘टीपू सुल्तान’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य में सेनापति थे, लेकिन वह अपने दम पर वर्ष 1761 में मैसूर के शासक बन गए। उन्होंने अपने पुत्र को भी एक अच्छा शासक बनने के हर जरूरी शिक्षा दिलाई। काफी कम उम्र से ही टीपू सुल्तान ने अपने पिता से युद्ध एवं राज्य नीति सीखना आरंभ कर दिया था।
उनकी इसी समझदारी के कारण 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने मलाबार साम्राज्य को हड़परकर उसपर नियंत्रण पा लिया था। तब उनके पास मलाबार की बड़ी सेना के सामने मह 2000 सैनिक थे, लेकिन फिर भी वे डरे नहीं और अंतत: जीत उनकी ही हुई। सन् 1799 में अंग्रेजों के खिलाफ चौथे युद्ध में मैसूर की रक्षा करते हुए टीपू सुल्तान की मौत हो गई।
टीपू सुल्तान दुनिया के पहले रॉकेट अविष्कारक थे। ये रॉकेट आज भी लंदन के एक म्यूजियम में रखे हुए हैं। अंग्रेज इन्हें अपने साथ ले गए थे। फ्रांस में बनाई गई सबसे पहली मिसाइल के अविष्कार में यदि किसी का सबसे अधिक दिमाग था तो वह थे स्वयं टीपू सुल्तान और उनके पिता हैदर अली।
टीपू सुल्तान की तलवार का वजन 7 किलो 400 ग्राम है। इस तलवार की मूठ पर टीपू के शासन का प्रतीक चिन्ह रत्नजड़ित बाघ बना हुआ था। साल 2015 में नीलाम की गई टीपू की तलवार की कीमत 21 करोड़ रुपए थी।
टीपू ‘राम’ नाम की अंगूठी पहनते थे, उनकी मृत्यु के बाद ये अंगूठी अंग्रेजों ने उतार ली थी। इस अंगूठी की नीलामी साल 2014 में क्रिस्टीज नीलामीघर ने की थी। क्रिस्टीज की वेबसाइट के अनुसार इस अंगूठी का वजन 41 ग्राम था। हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने और मंदिरों को तोड़ने वाले टीपू सुल्तान राम नाम की अंगूठी क्यों पहनते थे, यह आज भी रहस्य है।