डॉ सत्यवान सौरभ
इस शब्द में हर कोई एक विचार या विचार के साथ आगे बढ़ रहा है। विचारों के परिणाम के बारे में सोचे बिना कोई भी उस पर आगे बढ़ना नहीं चाहता। लोग दो तरह के विचारों के साथ जीते हैं एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक। यह लोगों पर निर्भर करता है कि वे अपने लिए क्या चुनते हैं क्योंकि विचार ही वह स्रोत है जो मनुष्य का निर्माण करता है। क्या आप वास्तव में सोचते हैं कि हम जो सोचते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं? क्यों हर कोई एक सफल व्यक्ति बनने में इतना व्यस्त है क्योंकि वे जानते हैं कि यदि आप शांति के साथ एक आरामदायक जीवन जीना चाहते हैं तो आपको एक सफल व्यक्ति बनना होगा और वह आपकी अपनी सोच का परिणाम होगा। हर कोई अपने जीवन में जो चाहे हासिल कर सकता है लेकिन कुछ ही लोग अपने सपनों का पीछा कर पाते हैं क्योंकि हर कोई अपने विचारों के कारण एक अलग रास्ता चुनता है। परिवेश आपके अनुसार चलता है न कि आप परिवेश के अनुसार चलते हैं यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसा परिवेश चाहते हैं या तो वह बुरा है या अच्छा, सही है या गलत और उसका विकास आपके विचारों पर निर्भर करता है कि आप जो भी बनेंगे उसका परिणाम होगा आपके अपने विचारों से।
औपनिवेशिक शासन के समय जब हर कोई बिना किसी नए विचार के अपने जीवन और नींद में व्यस्त था, उस समय हमारे स्वतंत्रता सेनानी ब्रिटिश सरकार से आजादी पाने के लिए अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त थे। सुभाष चंदर बॉस, चंदर शेखर आज़ाद, सरदार भगत जैसे सेनानी ये सभी नई सोच के साथ आते हैं क्योंकि वे एक स्वतंत्र, निडर या मजबूत भारत बनाना चाहते हैं। वे अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहे कभी सफलता मिली तो कभी असफल लेकिन वे अपने विचारों पर अडिग रहे। यह बात ब्रिटिश सरकार को पसंद नहीं थी क्योंकि वह इस बात से अवगत थी कि एक बार जब भारत को आजादी मिल जाएगी तो ब्रिटिश सरकार शासन करने की शक्ति खो देगी। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता है स्वतंत्रता का विचार पूरे भारत में फैल जाता है और परिवेश स्वतंत्रता या स्वतंत्रता की आवाज से भर जाता है। उन तीन लड़ाकों के बाद कितने लोग महात्मा गांधी और अन्य नेताओं की तरह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने आते हैं। और उसका परिणाम यह हुआ कि हमें ब्रिटिश शासन से आजादी मिल जाती है, यह सब इसलिए हो जाता है क्योंकि लड़ाके जो सोचते हैं वही बन जाते हैं।
हम दूसरा उदाहरण ले सकते हैं जिसके माध्यम से हम कह सकते हैं कि “हम जो कुछ भी हैं वह हमारे विचारों का परिणाम है”। अभी हम सभी एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं जहां हमारे पास संविधान है और कुछ मौलिक अधिकार हैं लेकिन इसके बावजूद कुछ क्षेत्रों में लोग अपनी मानसिकता के कारण संविधान के नियमों का पालन नहीं करते हैं, समानता के युग में महिलाओं को वह सम्मान नहीं मिलता है या सम्मान करें कि वे किस लायक हैं, ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग सोचते हैं कि महिलाएं केवल घर या बच्चों की देखभाल करने के लिए पैदा होती हैं, घर के बाहर उनकी कोई भूमिका नहीं होती है, उन्हें समाज में बोलने का कोई अधिकार नहीं है, ये सभी संकीर्ण दिमाग वाली चीजें विकसित होती हैं। समाज क्योंकि लोग जो सोचते हैं वे उसे लागू करते हैं और जो नहीं करना चाहिए वह बन जाते हैं। एक विचार आपके जीवन को बदल सकता है, हर किसी को अपने जीवन में एक निर्णय लेना होता है जो उनके पूरे जीवन को बदल सकता है इसलिए विचार को अपने जीवन में लागू करने से पहले परिस्थितियों या उस विशेष विचार के परिणाम का विश्लेषण करें क्योंकि वह निर्णय आपको बनाता है कि क्या आपको लगता है। हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है।
यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती।जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी हल कर सकने का विश्वास ही हमारी सकारात्मक सोच है। मुश्किल से मुश्किल दौर में भी हिम्मत बनाए रखना हमारे सकारात्मक सोच की शक्ति है। किसी भी मुश्किल कार्य को करने की हिम्मत भी हमें हमारे सकारात्मक सोच से ही मिलती है। हम किसी काम को जितने ज्यादा सकारात्मकता से करेंगे काम उतना ही सटीक और सफल होगा। जीवन की विषम परिस्थितियों में सकारात्मक सोच न होने के कारण बहुत से व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं और अपना बहुत बड़ा नुकसान कर बैठते हैं। आज तक के सभी सफल व्यक्तियों के सफलता का राज कहीं न कहीं उनकी सकारात्मक सोच है। सकारात्मकता केवल हमारी सफलता की ही नहीं बल्कि हमारे अच्छे स्वास्थ की कुँजी भी है।