विजय कनौजिया
बहुत दिनों के बाद आज फिर
मेरी उनसे बात हुई
हुई शिकायत वाली बातें
फिर मीठी तकरार हुई..।।
दोषारोपण इक दूजे पर
हमने खूब लगाया आज
अपनेपन से छलकी आंखें
जमकर खूब बरसात हुई..।।
एक दूजे के बिन बीते जो
चर्चा उस पर खूब हुई
क्यों थे इतने दूर भला तुम
पूछताछ फिर आज हुई..।।
कब से थे हम खोए-खोए
एक दूजे की बातों में
भूल गए हम सभी शिकायत
पहले जैसी बात हुई..।।
वादा करते हैं हम तुमसे
फिर ना कभी सताएंगे
तुम भी देना साथ हमेशा
चाहत फिर से आज हुई..।।
चाहत फिर से आज हुई..।।