देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने 22 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए बुधवार को दिशानिर्देश जारी करते हुए श्रद्धालुओं को जलवायु अनुकूलन के मद्देनजर कम से कम सात दिन का कार्यक्रम बनाने की सलाह दी है।
पिछले साल चारधाम यात्रा के दौरान अनेक श्रद्धालुओं की दिल का दौरा पड़ने जैसे स्वास्थ्यगत कारणों के चलते मौत हो गयी थी और इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने यात्रा शुरू होने से पहले ये दिशानिर्देश जारी किए हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार द्वारा गढवाल क्षेत्र के सभी जिलाधिकारियों को भेजे इन दिशानिर्देशों को श्रद्धालुओं के बीच व्यापक प्रचार—प्रसार करने को कहा गया है ताकि उनकी यात्रा सुगम और सुरक्षित रूप से संपन्न हो।
दिशानिर्देशों में बताया गया है कि उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारों धाम —बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री औरयमुनोत्री – समुद्रतल से 2700 मीटर से अधिक की उंचाई पर स्थित हैं, जहां तीर्थयात्री अत्यधिक ठंड, कम आर्द्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वायलेट विकिरण, कम हवा का दवाब, कम आक्सीजन की मात्रा से प्रभावित हो सकते हैं इसलिए वे यात्रा से पहले और यात्रा के दौरान सावधानियां बरतें।
तीर्थयात्रियों को सलाह दी गयी है कि वे अपनी यात्रा की योजना कम से कम सात दिन की बनाएं जिससे उन्हें वातावरण के अनुरूप अनुकूलन के लिए पर्याप्त समय मिले। इसके अलावा, उन्हें यात्रा पर निकलने से पहले रोजाना पांच—दस मिनट श्वास व्यायाम करने तथा करीब आधा घंटा टहलने की सलाह भी दी गयी है।
उन्हें यह भी कहा गया है कि अगर उन्हें कोई बीमारी है तो यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच जरूर कराएं और चिकित्सक द्वारा अनुमति न देने पर यात्रा पर न आएं। इसके अलावा, उन्हें अपने साथ गर्म कपड़े, छाता और बरसाती साथ में रखने तथा यात्रा के दौरान कम से कम दो लीटर तरल पदार्थ पीने और भरपूर पौष्टिक आहार लेने की सलाह भी दी गयी है।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने की स्थिति में सरकार की चिकित्सा इकाइयों पर पहुंचें या आपातकालीन स्थिति में 104 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें। जिलाधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कोविड अनुरूप व्यवहार के लिए प्रोत्साहित तथा जागरूक करें।