विजय कनौजिया
आज भले तुम याद करो न
कल मैं याद बहुत आऊंगा
आज सता लो चाहे जितना
कल मैं बहुत सताऊंगा..।।
मिल जाएंगे तुम्हें बहुत पर
मुझ जैसा मिलना मुश्किल है
आज रुला लो चाहे जितना
कल मैं बहुत रुलाऊंगा..।।
आज भले आँखें नम सी हैं
जीवन के संघर्षों से
आज धैर्य रख लो तुम थोड़ा
कल मैं बहुत हंसाऊंगा..।।
बार-बार रूठो तुम चाहे
बच्चों जैसी जिद कर लो
आज अगर तुम मान गए तो
कल मैं तुम्हें मनाऊंगा..।।
मजबूती हर रिश्ते की
बढ़ती है उसे निभाने से
आज अगर तुम इसे निभा दो
कल मैं इसे निभाऊंगा..।।
कल मैं इसे निभाऊंगा..।।