अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की पहली चीन यात्रा का वही परिणाम रहा, जो उनके कार्यकाल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पहले अमेरिका दौरे का रहा था। दोनों मौकों पर विश्लेषकों को उम्मीद थी कि ट्रंप अपने घोषित रुख के अनुरूप चीन पर दबाव डालेंगे। उत्तर कोरिया की बढ़ती हिमाकतों और चीन से कारोबार में अमेरिका के व्यापार घाटे के मुद्दों पर ट्रंप का रुख खासा सख्त रहा है। मगर दोनों बार जब वे शी के सामने आए, तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट रही। बीजिंग में शी की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि चीन उत्तर कोरिया संबंधी विवाद को जल्दी और आसानी से हल कर सकता है। साझा प्रेस कांफ्रेंस से पूर्व दोनों नेताओं की शिखर वार्ता के दौरान शी ने वादा किया कि चीन विदेशी कंपनियों के प्रति अधिक खुला रुख अपनाएगा। इससे खुश ट्रंप ने शी की दिल खोलकर तारीफ की। शी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान कहा था कि अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने के लिए वे हर जरूरी कदम उठाएंगे। तब इस वादे से उन्होंने ट्रंप का दिल जीत लिया था।
तो ट्रंप की बहुप्रतीक्षित चीन यात्रा का लब्बोलुआब यह है कि अमेरिका-चीन के संबंधों में यथास्थिति बनी रहेगी। उत्तर कोरिया दोनों देशों के बीच मतभेद का एक विषय है। तो उसकी भड़काऊ कार्रवाइयों रोकने की सदेच्छा दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने जताई। लेकिन उसका कोई व्यावहारिक रोडमैप उन्होंने नहीं बताया। शी ने यह तो कहा कि चीन कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की कोशिश करेगा, लेकिन कैसे- इसकी चर्चा उन्होंने नहीं की। ट्रंप ने भी शी को इतना भर कहकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली कि ‘आप शक्तिशाली हैं। मुझे भरोसा है कि आप समाधान निकाल सकते हैं।जबकि चीन पहुंचने से पहले अपनी दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान ट्रंप ने उत्तर कोरिया को कड़ी चेतावनी दी थी। मगर लगता है कि चीन पहुंचकर उन्होंने अपने देश के कारोबारियों के हितों की ज्यादा चिंता की। शी ने अमेरिकी कंपनियों के लिए अधिक अनुकूल स्थिति बनाने का वादा किया। बहुचर्चित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में हिस्सेदारी के लिए वहां की कंपनियों को आमंत्रित किया। संभवत: इससे ट्रंप नरम पड़ गए।
चीन की आर्थिक ताकत ऐसी है कि ज्यादातर देश उससे बनाकर चलने में अपना भला समझते हैं। कहा जा सकता है कि अब अमेरिका भी उनमें शामिल हो गया है। तो ट्रंप की उपस्थिति में शी जिनपिंग ने एलान कर दिया कि ‘चीन और अमेरिका के रिश्ते एक नई ऐतिहासिक शुरुआत के मुकाम पर हैं। शी की पिछले अप्रैल में अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित मार-ए-लैगो रिसॉर्ट पर ट्रंप से पहली मुलाकात हुई थी, तो दोनों की जाहिर हुई सद्भावना को मीडिया ने ‘ब्रोमांस(भाइयों का प्रेम) कहा था। धारणा बनी है कि बीजिंग में दोनों ने ‘ब्रोमांसको और गहराई दी। भारत को इस घटनाक्रम पर निकट निगाह रखनी चाहिए। ट्रंप का एकमात्र उद्देश्य अमेरिका का फायदा सुरक्षित करना है। जहां तक ये मुमकिन है, वहीं तक दोस्ती है। उसके अतिरिक्त उनसे कोई उम्मीद रखना निरर्थक है।