बड़े काम के ये फ्री सॉफ्टवेयर

asiakhabar.com | April 9, 2023 | 5:27 pm IST
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जब आप नया कंप्यूटर लेते हैं, तो उसमें अडोबी रीडर, ऑफिस, फायरफॉक्स, क्रोम जैसे तमाम सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने पड़ते हैं और इनमें से कुछ के लिए आपको पैसा खर्च करना पड़ता है। हालांकि कई ऐसे कम जाने-माने सॉफ्टवेयर भी हैं, जिनसे कंप्यूटर पर काम करना बहुत आसान हो जाता है। इनके लिए पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता।
विंडोज:-
डेक्सपॉट:- यह प्राइवेट यूज के लिए फ्री वर्चुअल डेस्कटॉप सॉफ्टवेयर है। एक डेस्कटॉप पर कचरा मचाने के बजाय आप कई डेस्कटॉप्स यूज कर सकते हैं। इन्हें आप अपनी मर्जी से कैटेगराइज कर सकते हैं। इनके लिए काम, गेमिंग, इंटरनेट जैसी तमाम कैटेगरी बनाई जा सकती है। हर डेस्कटॉप पर अलग वॉलपेपर, अलग आइकॉन और यहां तक कि अलग रनिंग एप्लिकेशंस हो सकते हैं। आप इन डेस्कटॉप में माउस या कीबोर्ड शॉर्टकट से स्विच कर सकते हैं।
रेनमीटर:- विंडोज में लिमिटेड डेस्कटॉप कस्टमाइजेशन मिलता है। इसलिए रेनमीटर बेहद पॉपुलर है। यह पूरे डेस्कटॉप को स्किन से रिप्लेस करता है। आप अपनी मशीन में विजेट्स, नोट्स, लॉन्च एप्लिकेशंस या यूनीक बॉक्स ऐड कर सकते हैं। यही नहीं, आप फ्री में इसे डाउनलोड करके कम्युनिटी से हजारों स्किन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कीपास:- कीपास सिक्योर पासवर्ड स्टोरेज के लिए भरोसेमंद नाम है। आप इसका इस्तेमाल कई पासवर्ड स्टोर करने के लिए कर सकते हैं। इन सभी पासवड्र्स को एक सिंगल मास्टर पासवर्ड से सिक्योर किया जा सकता है। एक बार लॉक होने के बाद पासवर्ड डेटाबेस एनक्रिप्टेड हो जाता है। इसे ब्रेक करना लगभग नामुमकिन होता है। यह आपकी मशीन पर होता है, इसलिए इसकी सेफ्टी को लेकर कोई शक भी नहीं रहता। इसे इंटरनेट के जरिए ट्रांसमिट नहीं किया जा सकता।
रेकवा:- कई बार गलती से कोई फाइल डिलीट हो जाती है। अगर आप नए कंप्यूटर पर काम करने के आदी नहीं हैं, तो यह गलती बार-बार हो सकती है। रेकवा ऐसा टूल है, जो डिलीट की हुई फाइल्स को कैमरा मेमरी काड्र्स, यूएसबी ड्राइव्स, कंप्यूटर के रिसाइकल बिन से जल्द रिकवर कर लेता है। यह एमपी3 प्लेयर से भी फाइल रिकवर कर सकता है। हो सकता है कि हमेशा 100 पर्सेंट फाइल इससे रिकवर न हो, लेकिन यह कुछ नहीं से बेहतर तो है ही।
रॉकेटडॉक:- अगर आप मैक ओएस एक्स की तरह कभी भी एनिमेटेड डॉक चाहते थे, तो इससे आपकी ख्वाहिश पूरी हो सकती है। रॉकेटडॉक को पूरी तरह कस्टमाइज किया जा सकता है। ओएस एक्स में यह सुविधा नहीं है। इसकी मदद से आप प्रोग्राम लॉन्च कर सकते हैं। आप इससे प्रोग्राम मिनिमाइज भी कर सकते हैं। इसे स्क्रीन पर किसी कोने में रखा जा सकता है।
7-जिप:- अगर आप जिप्ड आर्काइव्स के साथ अक्सर डील करते हैं, तो आपको विनजिप से ज्यादा पावरफुल टूल की जरूरत पड़ सकती है। 7-जिप ओपन सोर्स है और यह फ्री भी है। यह हर फॉर्मेट की पैकिंग और अनपैकिंग हैंडल कर सकता है। इसे सिस्टम से आसानी से इंटीग्रेट किया जा सकता है। इसका अपना हाईकंप्रेशन फॉर्मेट भी है, जिसे 7जेड कहते हैं। आज के हाई डेटा मैनेजमेंट के जमाने में बड़ी फाइलों को छोटा करके भेजने में यह बड़े काम का है।
मैक:-
एंड्रॉयड फाइल ट्रांसफर:- विंडोज के उलट मैक एंड्रॉयड या टैब्लेट को डेटा ट्रांसफर के लिए मास स्टोरेज डिवाइस की तरह डिटेक्ट नहीं करता। अगर आप मैक या एंड्रॉयड डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह टूल आपके पास होना ही चाहिए। जब आप डिवाइस कनेक्ट करते हैं, तो यह पॉपअप होता है और इंटरनेट एक्सेस करने की सुविधा देता है। इसमें माइक्रोएसडी कार्ड का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें ड्रैग एंड ड्रॉप फीचर को भी सपोर्ट करता है।
ओनिएक्स:- इससे आपको अपना मैक स्मूदली चलाने में मदद मिलती है। यह कई एडवांस्ड मेंटनेंस और क्लीनिंग टूल ऑफर करता है। आप ऑटोमेशन सेक्शन में मनचाही सर्विस सेलेक्ट कर सकते हैं और यह टूल आपके लिए अपने आप मेंटनेंस का काम करेगा। यह आपको इनबिल्ट ओएसए क्स टूल के एक्सेस में भी मदद करता है, जैसे स्क्रीन शेयरिंग और नेटवर्क डाइग्नॉस्टिक्स।
एक्सट्राफाइंडर:- यह मैक के डिफॉल्ट फाइंडर विंडोज में कुछ एक्सट्रा जोड़ता है। इससे आपको कट, फोल्डर टैब, ड्युल विंडोज, ड्युल पैनल्स के साथ कॉपी पाथ, शो हिडेन आइटम्स, रिफ्रेश, न्यू फाइल, कॉपी टु और मूव टु जैसे ऑप्शंस मिलते हैं। यह जरूरत पड़ने पर आपको फाइंडर विंडो में सेकेंड साइडबार भी जोड़ने की सुविधा देता है।
एफ. लक्स:- अगर आप दिन का ज्यादातर वक्त मैक पर काम करते हुए गुजारते हैं, तो थ्.सनÛ आपकी लिस्ट में सबसे ऊपर होना चाहिए। यह टूल आंखों की थकान कम करता है। यह दिन में टाइम के हिसाब से डिस्प्ले को खुद एडजस्ट करता है।
अल्फ्रेड:- यह प्रॉडक्टिविटी असिस्टेंट है, जिससे आपको ऐप्स और फाइल्स लॉन्च करने में मदद मिलती है। यह टूल वेब या आपके कंप्यूटर पर सर्च में मदद करता है। इसमें आपको कीबोर्ड पर कस्टमाइज हॉटकीज की भी सुविधा मिलती है। यह पता लगाता है कि आप किन ऐप्स और फाइल्स का रेग्युलर इस्तेमाल करते हैं और उस हिसाब से रिजल्ट की प्रायॉरिटी तय करता है।


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