राम भक्त और हनुमान भक्त दोनों के लिए ही हनुमान जयंती का दिन बहुत ही खास होता है. इस दिन को देशभर में लोग बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं. लेकिन कुछ लोग इसे हनुमान जयंती तो कुछ हनुमान जन्मोत्सव भी कहते हैं. क्या दोनों एक ही है या दोनों में अंतर है और इन दोनों में क्या कहना सही होगा. इसे लेकर लोग कंफ्यूज रहते हैं.
हनुमान जयंती कहा जाए या हनुमान जन्मोत्सव इसे लेकर लोगों के अपने-अपने मत हैं. कुछ लोग जयंती को भी जन्मदिन और जन्मोत्सव को भी जन्मदिन ही मानते हैं. इसलिए दोनों को एक समान ही समझते हैं. लेकिन जानकारों का मानना है कि हनुमान जी के जन्मदिन को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहा जाना उचित होगा. क्योंकि जयंती और जन्मोत्सव का अर्थ भले ही जन्मदिन से होता है. लेकिन जयंती का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में जीवित नहीं है और किसी विशेष तिथि में उसका जन्मदिन है. लेकिन जब बात हो भगवान हनुमान की तो इन्हें कलयुग संसार का जीवित या जागृत देवता माना गया है.
कहा जाता है कि भगवान राम से अमर होने का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया और इसी स्थान में कलयुग में धर्म के रक्षक के रूप में हनुमान जी निवास करते हैं. इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को जयंती के बजाय जन्मोत्सव कहना उचित होगा
तीन मुख्य बिंदुओं में समझिए जयंती और जन्मोत्सव में अंतर
जयंती का मतलब होता है किसी ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन जो जीवित नहीं है. वहीं जन्मोत्सव का मतलब होता है जो व्यक्ति दुनिया में जीवित हो उसका जन्मदिन. इसलिए हम किसी को भी जन्मदिन की बधाई देते हैं तो शुभ जयंती नहीं बल्कि शुभ जन्मोत्सव कहते हैं.
जन्मदिन ऐसा दिन होता जिस तिथि में व्यक्ति का जन्म हुआ हो और हर साल जन्मदिन का अवसर आता है. इस तरह आपके जीवित रहने तक जन्मदिन की पहली सालगिरह, दूसरी सालगिरह, तीसरी सालगिरह…आदि का मिलान वर्तमान जन्मदिन से किया जाता है.
इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को भी जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना सही है. क्योंकि कहा जाता है कि भगवान हनुमान आज भी सशरीर इस धरती पर मौजूद हैं.