श्याम जाजू
राहुल गांधी जी के राजनीतिक जीवन में बेबूनियाद बातें करना, गलत शब्दों को प्रयोग करना, अनावश्यक लांछन लगाकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश करना ये कोई नई बात नहीं है। ऐसे अनेक प्रसंगो से ही उनकी सार्वजनिक व राजनीतिक छवि हास्यास्पद व मजाकिया के रूप में स्थापित हो गई है। इसका बड़ा नुकसान उनकी पार्टी को तो हुआ ही है पर साथ-साथ गांधी परिवार का चरित्र चर्चा में आ जाता है।
ऐसे ही अपने गलत बयान के कारण सूरत के विधायक पूर्णेष मोदी ने उनपर मानहानि का दाव लगाया था और अभी-अभी उसका जजमेंट आकर उनकी संसद की सदस्यता रद्द हो गई। अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य, व्यक्ति स्वातंत्र्य इसका पर्याप्त फायदा उठाते हुए व्यक्ति द्वेष का अतिरेक करकर राहुल जी सार्वजनिक सभाओं में बोलते रहते हैं। मोदीद्वेष से ओतप्रोत होकर 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी जी के पिछड़ी जाति का अपमान करते हुए उन्होंने कहा था कि देश के सब मोदी चोर हैं।
सोने का चम्मच मूंह में लेकर राजघराने में राहुल जी का जन्म हुआ। वो एक अतिसामान्य गरीब परिवार से आये हुए और गये तीन दशक से अपने कतृत्व से समाज मन को प्रभावित करने वाले देश के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी जी के बारे में बहुत हीं हीनभाव रखते हैं। सत्ता में रहने का अधिकार केवल एक ही परिवार को है, ऐसा भ्रम राहुल जी और कुछ कांग्रेसी मन में रखे हुए हैं।
सत्ता वियोग के दु:ख से हताश होकर राहुल जी के मन में हताषा, निराशा और समय-समय पर अहंकार भी व्यक्त होता है। गांधी परिवार के तीन पिढ़ीयों से हम इसी मानसिकता से परिचित हैं। वो अपने गलत व्यवहार या बयानों से कभी माफी नहीं मांगते।
नेता जी सुभाषचंद्र बोस जब बहुमत से कांग्रेस के अध्यक्ष बने तब राहुल जी के पड़नाना नेहरू जी परेशान थे। उनके द्वेषपूर्ण व्यवहार से ही नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को भारत के बाहर जाना पड़ा। स्वतंत्र भारत में उनके मृत्यु का गुढ़ रहस्य कभी खुला नहीं। सुभाष बाबू के बारे में जो अन्याय कारक व्यवहार हुआ उसके बारे में नेहरू जी ने भी कभी माफी नहीं मांगी थी।
सावरकर व संघद्वेष यह गांधी परिवार की खानदानी परिपाटी है। इसी के कारण राहुल जी के पड़नाना नेहरू जी ने गांधी हत्या के केस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरक जी पर आरोप लगाये। देशभक्त स्वयंसेवकों को और सावरकर जी को जेल में बंद किया, संघ पर पाबंदी लगाई, बदनाम करने करने की कोशिश की पर न्यायालय ने इन सभी को निर्दोष साबित किया, तब भी नेहरू जी ने माफी नहीं मांगी थी।
पाकिस्तान के पहले युद्ध में नेहरू जी के कार्यकाल में कश्मिर का कुछ पार्ट जो आज भी PoK के रूप में जाना जाता है वो चला गया। आज तक वो भू-भाग वापस नहीं आया। इसका जिक्र कहीं भी गांधी परिवार ने नहीं किया माफी मांगना तो दूर की बात है।
1962 के युद्ध में नेहरू जी के चायना प्रेम के कारण ‘‘हिंदी चिनी भाई-भाई’’ के नारों के बावजूद अपना कुछ भू-भाग चायना के पास चला गया। बॉर्डर वाले क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत ना होने से अपने सैनिकों को युद्ध में बड़े पैमाने पर शहादत देनी पड़ी, हार स्वीकारनी पड़ी, नेहरू जी ने देश से माफी नहीं मांगी।
राहुल जी की दादी इंदिरा जी ने न्यायालय का अपमान करते हुए अपनी कुर्सी बचाने के लिए पूरे देश में इमरजेंसी लगाई, सेन्सरशिप जारी की, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेलों में बंद किया, जबरदस्ती नसबंदी की, सभी देश भक्तों के साथ-साथ लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी, आचार्य कृपलानी जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी इनको भी जेल में रखा। परिणामत: कांग्रेस का चुनाव में पराजित हुई और वो सत्ता से बाहर हो गई। इतना होने के बावजूद राहुल जी की दादी इंदिरा गांधी व चाचा संजय गांधी जी ने देश से माफी नहीं मांगी।
1984 के सिखों के नरसंहार के बाद राहुल जी के पिता जी स्व. राजीव जी ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया कि बड़ा वृक्ष गिरने के बाद जमीन तो हिलती ही है। सिख समुदाय के लोगों के हत्याओं के विषय में उन्होंन कभी पश्चाताप व्यक्त नहीं किया ना माफी मांगी।
गांधी परिवार के नस-नस में सरंजामी प्रवृत्ती है, भारत ये उनको अपनी जागीर लगती है। नेता व कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा ना रख कर उनका अपमान करना ये उनके खून में है। इसकी ही परिपाटी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का अध्यादेश पत्रकार परिसर में सार्वजनिक मंच वो फाड़ते हैं इतना ही नहीं और स्व. निजलिंगप्पा, स्व. निलम संजीव रेड्डी, स्व. सिताराम केसरी, स्व. मोरारजी देसाई ऐसे अनेक वयोवृद्ध वे वरिष्ठ नेताओं को अपमानित व्यवहार देने वाला यह गांधी परिवार है।
राहुल जी का बदसलूकी का व्यवहार केवल देश में, संसद में या सार्वजनिक सभाओं तक सिमित नहीं रहता है। विदेशों में भी देश की बदनामी करना व गलत लांछन लगाने का काम वो करते रहते हैं। देश, काल परिस्थिति का कोई बंधन वहां काम नहीं करता। इतना होने के बावजूद वो संसद में माफी नहीं मांगे गे। माफी मांगने की परिपाटी उनके परिवार में है ही नहीं। देशहित से ज्यादा उनका अपना अहंकार है।
भारत की न्याय व्यवस्था में कानून सबके लिए समान काम करता है। इसका परिणाम राहुल जी के बेबूनियाद बयान की सजा उनको न्यायालय ने सुनायी है। राहुल जी के अपरिपक्व व अहंकारी वक्तव्यों से बार-बार देश के सामाजिक सदभाव का, देश के लिए जान न्योछावर करने वाले शहीदों का अपमान हुआ है। इसलिए केवल माफी मांगने से उसका परिमार्जन नहीं हो सकता।
लोकतंत्र का सम्मान करते हुए न्यायालय ने सुनाई हुई सजा का बतंगड़ ना बनाते हुए राहुल जी राजनीतिक रोटियां सेकने का कार्यक्रम बंद करें। जनता आपका व आपके परिवार का पूर्वेतिहास जानती है। देश व समाजहित के बारे में विचार करना आपके सोच के बाहर का विषय है। लोकतंत्र में ‘’हम करे सो कायदा’’ नहीं चलता है। पर माफी मांगने की परिपाटी आपके खानदान में नहीं है, तो आपसे क्या अपेक्षा करें?