नई दिल्ली। भारत-अफ्रीका सेना प्रमुखों के सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता को बढ़ावा देने और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अफ्रीकी देशों के साथ काम करना जारी रखेगा। राजनाथ सिंह ने अफ्रीकी कंपनियों को उनकी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत-अफ्रीका संबंध एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाने के लिए परस्पर सहयोग को बढ़ावा देते हैं, जो विकासशील देशों की आकांक्षाओं के प्रति अधिक उत्तरदायी है।
अफ्रीका-भारत के संयुक्त अभ्यास ‘ऑफ़इंडेक्स’ के मौके पर पुणे में मंगलवार से भारत-अफ्रीका सेना प्रमुखों का सम्मेलन शुरू हुआ है। कॉन्क्लेव में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और 31 अफ्रीकी देशों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य नागरिक और रक्षा गण्यमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। सम्मेलन के पहले सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने, स्थिरता को बढ़ावा देने और रक्षा क्षमताओं को एक साथ बढ़ाने के लिए अफ्रीकी देशों के साथ काम करना जारी रखेगा। राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और क्षमता तभी महसूस की जा सकती है, जब उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, रोजगार का अधिकार, आजीविका का अधिकार जैसे व्यक्तिगत मानवाधिकारों का संरक्षण एक मजबूत और प्रभावी राज्य तंत्र पर निर्भर है, जो कानून के शासन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ आर्थिक विकास और सामाजिक विकास को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि, हम में से कई अपनी आजादी के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। ऐसे कई अफ्रीकी देश हैं, जहां राज्य प्रणालियों का क्षमता निर्माण अभी भी प्रगति पर है। रक्षा मंत्री ने मजबूत राज्य संरचनाओं के निर्माण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जो लोगों की आकांक्षाएं और जरूरतों को पूरा कर सके।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अफ्रीकी देशों के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण देने और उन्हें 21वीं सदी की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने में भारत सबसे आगे रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम व्यापक क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिसमें उग्रवाद-विरोधी अभियान, शांति स्थापना, समुद्री सुरक्षा और साइबर युद्ध और ड्रोन संचालन जैसे नए डोमेन में विशेष प्रशिक्षण शामिल हैं। इसमें आपदा प्रबंधन, मानवीय सहायता और चिकित्सा सहायता जैसे क्षेत्रों में नागरिकों को प्रशिक्षण देना भी शामिल है। विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में अफ्रीकी देशों के सशस्त्र बल के जवान भारत आते रहते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और अफ्रीकी देशों के बीच संयुक्त अभ्यास सशस्त्र बलों को एक-दूसरे से सीखने और पारस्परिकता को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने ‘ऑफ़इंडेक्स’ को क्षमता विकसित करने और आपसी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अफ्रीकी देशों पर भारत के निरंतर ध्यान का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि भारत समुद्री पड़ोसियों के रूप में हिंद महासागर से जुड़ा हुआ है, इसलिए समुद्री सुरक्षा, हाइड्रोग्राफी, आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में हमारा सहयोग क्षेत्रीय शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक होगा।
भारत-अफ्रीका सेना प्रमुखों के इस सम्मेलन का बिषय ‘क्षेत्रीय एकता के लिए अफ्रीका-भारत सेना-अमृत’ रखा गया है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग तंत्र के हिस्से के रूप में भारत और अफ्रीकी देशों की सेनाओं के बीच तालमेल को मजबूत करना और सुधारना है। कॉन्क्लेव ने भारतीय रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देने के अलावा संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, शांति अभियानों के निष्पादन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक संस्थागत ढांचे को विकसित करने के लिए राष्ट्रों के बीच संयुक्त प्रशिक्षण और रक्षा सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है। यह सम्मेलन भारत और अफ्रीकी देशों के बीच गहरे रक्षा संबंधों में एक प्रमुख मील का पत्थर है, जिससे क्षेत्रीय सहयोग बढ़ रहा है।