यह तब की बात है जब मैं 13 साल का था और कक्षा 9 में पढ़ता था। अब मैं 14 साल का हो गया हूं। मेरे पिता जी कहते हैं कि लोगों की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
अगर तुम किसी की मदद करना चाहते हो तो तुम्हारे अंदर अपने आप हिम्मत आ जाएगी और एक अलग तरह की खुशी का भी अनुभव होगा। एक बार हम सपरिवार घर के बाहर गये थे। हम लोग जी.टी. रोड के किनारे पैदल ही चल रहे थे। मैं पापा से पीछे था। तभी मैंने देखा कि सड़क के किनारे एक वृद्ध महिला खड़ी हैं। असल में वह रोड पार करना चाहती थीं, मगर सड़क पर बहुत तेज गाडिया चल रही थीं, इसलिए यह संभव नहीं हो रहा था। कोई भी उनकी मदद करता नहीं दिख रहा था। तभी मुझे पापा कि बात याद आई और मैं दौड़ कर उन महिला के पास गया और कहा, आइए अम्मा मैं आप को रोड पार करा देता हूं।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और चलने लगीं। सड़क पर काफी तेजी से वाहन आ-जा रहे थे। लेकिन मेरे अंदर पता नहीं कैसे हिम्मत आ गयी थी। मुझे थोड़ा सा भी डर नही लग रहा था। मैंने उनको आराम से रोड पार करा दिया।
उसके बाद उन्होंने मुझे खूब आशीर्वाद दिया और चली गयी। वास्तव में उस समय मदद करने के बाद मुझे बहुत खुशी महसूस हुई। उस दिन मुझे यह पता चला कि जब हम किसी कि मदद करते हैं तो भगवान भी हमारा साथ देता है और हमें हिम्मत देता है।