नई दिल्ली। दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी की सजा को चुनौती दी है। उसने कोर्ट से गत 5 मई के फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है।
सामूहिक दुष्कर्म कांड के इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से दोषियों को फांसी की सजा दी गई है। गत पांच मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को मौत की सजा देने के हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी मुहर लगाई थी।
चार में से एक दोषी मुकेश ने वकील एमएल शर्मा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी की सजा रद्द किए जाने की मांग की है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक मुकेश घटना की रात बस को चला रहा था जिसमें छात्रा के साथ हैवानियत हुई थी। उसने भी छात्रा से दुष्कर्म किया था, लेकिन दाखिल पुनर्विचार याचिका में मुकेश ने कहा है कि वह घटना की रात बस में नहीं था। उसे झूठा फंसाया गया है।
मुकेश का यह भी कहना है कि उसे ड्राइविंग नहीं आती। पुलिस ने उसके जिस ड्राइविंग लाइसेंस को केस मे पेश किया है वह मोटर साइकिल चलाने का है, बस चलाने का नहीं है। इसके अलावा और भी बहुत सी दलीलें देते हुए मौत की सजा समाप्त करने की मांग की गई है।
मुकेश ने यह भी कहा है कि उसे पुलिस ने करौली से गिरफ्तार किया था और प्रताड़ित करके अपराध स्वीकृति का बयान दर्ज कराया।
16 दिसंबर 2012 को हुई थी ये घिनौनी वारदात-
16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। अपराधियों ने उसके साथ हैवानियत की सारी सीमाएं पार कर उसे व उसके मित्र को नग्न अवस्था में चलती बस से नीचे फेंक दिया था। बाद में इलाज के दौरान छात्रा की मौत हो गई थी।