बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के जयहिंद तेंदुआ ग्राम से तालुक रखने वाले अभिषेक बचपन से ही सामाजिक कार्य में निपुण, स्नातक करने के बाद घर की रोजी रोटी के लिए बिहार सरकार के जीविका परियोजना कैमूर जिला में कार्य करना प्रारंभ किया। संस्था के सोच और नियम के अनुसार इन्होंने महिलाओं को उत्प्रेरित कर कई लघु- कुटीर उद्योग की स्थापना की तथा महिलाओं के स्वरोजगार, आत्मसम्मान बनाने में महत्ती भूमिका निभाई। अभिषेक ने दो वर्ष तक कैमूर पहाड़ी के अधौरा में वनवासी जीवन व्यतीत कर पथरीले रास्ते से अपनी लेखन प्रारंभ किया था और अपने लेख के माध्यम से जनजाति और पहाड़ पर वास करने वाले लोगो को समस्याओं को जीवंत किया था। बहुत सारे सहकर्मी ने इनकी प्रसिद्धि से जल कर इनका मनोबल कम करने का प्रयास किया लेकिन सोना जब तक पिघलेगा नही और चोट नहीं खायेगा तब तक जेवर नही बनता, बस यही हुआ अभिषेक के साथ। निंदा से इन्होंने ताकत ली और फिर कई सामाजिक मुद्दों पर इनके द्वारा लिखा जाने लगा। इसी बीच इन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास विभाग में ब्लॉक मिशन प्रबंधक के पद पर आजमगढ़ में योगदान दिया और तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर बालकृष्ण मोहन के उत्प्रेरणा से साहित्य के प्रति सजग होते हुए सामाजिक मनोवृत्ति में बदलाव, राष्ट्रीय, मानवीय सेवा हेतु एक अनोखा राह चुना।
इनकी अद्भुत साहित्य सृजन व रचनाओं के दृष्टिगत इन्हे अंतर्राष्ट्रीय समाज सेवा, साहित्य साधक, भारत साहित्य रत्न, कलम के जादूगर जैसे कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
नागौर, राजस्थान के महंत डॉ. नानक दास जी महाराज के मार्गदर्शन में अभिषेक ने संत कबीर के जीवन पर आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान नामक ऐतिहासिक पुस्तक लिखा तो इसकी प्रासंगिकता को देखते हुए अब तक 27 भाषाओं में इनकी पुस्तक को अनुवादित करने का कार्य देश के प्रमुख साहित्यकारों ने किया जिसका एक साथ एक मंच पर विमोचन 05 फरवरी 2023 को अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय भवन, जनपथ रोड नई दिल्ली में हुआ जो भारतीय साहित्य के इतिहास में अनोखा है। जिस प्रकार छोटे-छोटे साम्राज्य को एक सूत्र में पिरोकर सरदार बल्लभ भाई पटेल ने सम्पूर्ण भारत को एक किया था उसी प्रकार वर्तमान भारत में उत्तर से दक्षिण (जम्मू कश्मीर से तमिलनाडु) और पूरब से पश्चिम (असम से गुजरात) के विद्वान साहित्यकारों को एक जगह एकत्रित कर साहित्य क्षेत्र में अद्भुत कार्य का नीव डाला है। जिसके लिए अभिषेक को राष्ट्र लेखक की उपाधि व साहित्य में डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी मिली।
अभिषेक द्वारा स्थापित भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद तथा दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र एक बेमिसाल नायाब नमूना है। जहाँ किसी के विचारों को किसी भी भाषा में कोई व्यक्ति पढ़ सकता है तथा 50 से अधिक विषयों पर मानवता संबंधी अनुसंधान और विश्व स्तर पर निःशुल्क किसी भी लेखको का साहित्य ई-प्रकाशन, विचारों का लेखन, रॉयल्टी अर्जन, ISBN जैसी सेवाएं मुहैया कराई जाती है।