वाशिंगटन। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा पर चिंता जताते हुए अमेरिका की शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ अमेरिका पाकिस्तान का सक्रिय रूप से साथ देने के लिए तैयार है।
दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए कार्यकारी सहायक विदेश मंत्री एलिस जी. वेल्स ने कहा कि क्षेत्र खास तौर से पाकिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा को लेकर अमेरिका अभी भी चिंतित है। उन्होंने कहा कि जबतक कुछ आतंकी समूह सक्रिय रहेंगे और पाकिस्तानी सीमा पर अपनी क्षमता बढ़ाते रहेंगे तबतक उस देश की स्थिरता पर खतरा बना रहेगा। इसके साथ ही उस क्षेत्र में अमेरिकियों की सुरक्षा भी खतरे में रहेगी।
कांग्रेस की संयुक्त उपसमिति के सामने सुनवाई के लिए हाजिर हुई कार्यकारी विदेश मंत्री ने कहा, ‘पाकिस्तान का अस्थिर होना न तो हमारे हित में है न इस्लामाबाद के हित में। केवल इन आतंकी संगठनों पर केवल नियंत्रण पाने तक ही हमने हित साझा नहीं किया है, बल्कि उन्हें पूरी तरह मिटाने तक साथ देंगे। हम पाकिस्तान के साथ इन आतंकी समूहों के खिलाफ सक्रिय रूप से काम करने के लिए तैयार हैं।’
हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में कई अपहरण और हमले किए हैं। इस समूह ने अफगानिस्तान में भारतीय हितों पर भी खतरनाक हमले किए हैं। वर्ष 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास पर किए गए हमले में 58 लोग मारे गए थे।
अमेरिकी चिंताओं को दूर करने पर निर्भर है पाक का सहयोग-
वेल्स ने कहा कि पाकिस्तान को भविष्य में विदेशी सैन्य सहायता अमेरिका की मुख्य चिंताओं के समाधान पर निर्भर रहेगा। खास तौर से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसकी भूमिका अहम होगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी सहायता की समीक्षा कर रहे हैं।
भारत-पाक के बीच तनाव कम करने पर ध्यान देगा अमेरिका-
वेल्स ने कहा कि ट्रंप प्रशासन की नई दक्षिण एशिया रणनीति का मुख्य जोर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने पर है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच अमेरिका मध्यस्थ नहीं बनेगा।