सतीश बंसल
सिरसा।शाह सतनाम जी कॉलेज ऑफ एजुकेशन में शुक्रवार को महिला दिवस के उपलक्ष पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय महिला सशक्तिकरण पर्दे के पीछे का दर्द रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सिरसा की एएसपी दीप्ति गर्ग ने शिरकत की। जबकि चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा से डीन ऑफ कॉलेज प्रोफेसर आरती गोड़ मौजूद रही। राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर रणजीत कौर चेयरपर्र्सन शिक्षा विभाग सीडीएलयू सिरसा और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से सहायक प्रोफेसर डॉ. नवदीप कौर ने विचार रखे। मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का स्वागत एवं सम्मान कॉलेज प्रशासिका डॉ. चरणप्रीत कौर, प्राचार्या डॉ. रजनी बाला और प्रशासक प्रो.शशि आनंद द्वारा किया गया। संगोष्ठी की विधिवत शुरुआत सम्मानित अतिथियों, कॉलेज प्रशासिका, प्राचार्या के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित और सरस्वती वंदना के साथ की गई। राष्ट्रीय संगोष्ठी के संरक्षक डॉ. चरणप्रीत कौर ढिल्लों, संयोजक एवं प्राचार्या डॉ. रजनी बाला कोऑर्डिनेटर डॉ. मीनाक्षी रहे। मंच का संचालन डॉ. मीनाक्षी और डॉ. प्रेम कुमार वर्मा के द्वारा बखूबी निभाया।
मुख्य अतिथि एएसपी सुश्री दीप्ति गर्ग ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि महिला किसी भी क्षेत्र में,कार्य में पीछे नहीं है और जिस क्षेत्र में अपना कदम रखती है उसमें हमेशा सफल होकर दिखाती है। औरत चाहे तो वह क्या नहीं कर सकती। यदि वह ठान ले तो हर मुश्किल से मुश्किल कार्य को करने का दम भरती है। उसके साथ परिवार, समाज का साथ की बहुत जरूरत है। इसलिए पुरुष को नारी का सहयोग करना और सम्मान करना चाहिए। वहीं इस दौरान एएसपी ने छात्रों से यूपीएससी परीक्षा से संबंधित अपने अनुभवों को और विचारों को साझा करते हुए यूपीएससी की तैयारी से संबंधित टिप्स दिए। साथ ही उन्होंने पुलिस द्वारा नशा मुक्त समाज के लिए पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान से भी सभी को रूबरू कराते हुए कहा कि नशे की बीमारी को जड़ से खत्म व रोकने के लिए हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए, ताकि हमारा समाज और देश अच्छा बन सके।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर रणजीत कौर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि महिला को आगे बढ़ाने में परिवार का सहयोग बहुत जरूरी है। अच्छी शिक्षा औरत तभी प्राप्त कर सकती है जब परिवार के सदस्य उसको पूरा सहयोग देते है। तभी नारी सशक्त बन सकती है। हर कमीशन में महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण की बात कही गई है पर वो तभी सार्थक हो सकती है जब वो निचले स्तर पर काम हो। महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन की बात कही गई है। उसको लागू करना चाहिए, तभी समानता आ सकती हैं।
वक्ता डॉ. नवदीप कौर ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे समाज में कुछ सामाजिक बुराइयां भी प्रचलित है। जिस प्रकार से घूंघट प्रथा, बाल विवाह। घूंघट प्रथा का प्रचलन हरियाणा में मिलता है, लेकिन हरियाणा के लोग इसको संस्कृति का एक अंग मानते हैं। ये सब हम जन्म से नहीं समाज से सीखते हैं, परिवार से सीखते हैं। इसलिए महिला को जागरूक होना पड़ेगा। तब हम अपने आप में बदलाव कर सकते हैं। महिला के अंदर अपने अधिकारों और सामाजिक कुरीतियों को बदलने की शक्ति होनी चाहिए।
प्रोफेसर आरती गोड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज के समय में नारी पुरुष के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है। नारी हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व रखती हैं। यदि नारी शिक्षित होती है तो दो परिवार शिक्षित होते हैं।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में तकनीकी स्तर में वक्ता और निर्णायक मंडल की भूमिका नेहरू कॉलेज ऑफ एजुकेशन अलीकां के प्राचार्य डॉ.कृष्ण कांत और मनोहर मेमोरियल कॉलेज ऑफ एजुकेशन फतेहाबाद प्राचार्या डॉ.जनक रानी रहे। डॉ. कृष्णकांत ने अपने शोध पत्र के माध्यम से समझाया कि महिला सिर्फ भोग की वस्तु नहीं है, बल्कि सम्मान की मूर्ति है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज के अंदर नारियों के फैसले परिवार के बड़े बुजुर्ग लेते हैं और महिलाओं को उनका पालन करना पड़ता है। बल्कि उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए। डॉ. रविंद्र कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर गवर्नमेंट कॉलेज रानियां ने अपने शोध पत्र रोल ऑफ वुमन इन स्विक सोसाइटी और डॉ. नरेंद्र कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर मनोहर मेमोरियल कॉलेज ऑफ एजुकेशन फ तेहाबाद ने अपने शोध पत्र वुमन एंपावरमेंट चैलेंज एंड बैरियर प्रस्तुत किया। अंत में कॉलेज प्रशासिका डॉ.चरणप्रीत कौर, प्राचार्या डॉ. रजनी बाला ने आए हुए मेहमानों सुश्री एएसपी दीप्ति गर्ग,प्रो.आरती गोड़, प्रो.रणजीत कौर, प्रो. नवदीप कौर व सभी प्राध्यापकों, शोध छात्रों और विद्यार्थियों का धन्यवाद किया।