-निर्मल रानी-
हमारे देश का एक बड़ा वर्ग जिसमें शिक्षित व अशिक्षित सभी शामिल है, अंधविश्वास का शिकार है। उदाहरण के तौर पर आप बड़ी से बड़ी कोठियों में अक्सर ‘भूत’ जिसे कि नज़र बट्टू भी कहा जाता है, लटका हुआ मिलेगा। ख़ासकर नवनिर्मित या निर्माणाधीन कोठियों में तो ज़रूर ही मिलेगा। यदि किसी को भूत अच्छा नहीं लगता या उपलब्ध नहीं है तो वह फटे जूते या पुराने टायर आदि लटकाकर ही अपने मकान को किसी अन्य की ‘नज़र’ लगने से बचाने के उपाय समझ लेता है। यह नज़र बट्टू भूत, ग़रीबों की झुग्गी झोपड़ियों में नहीं बल्कि संपन्न व तथाकथित शिक्षित लोगों के मकानों में ही लटके मिलेंगे। शेष समाज हरी मिर्च और निम्बू लटकाकर ही नज़र लगने से बचाव के उपाय कर लेता है। गत दिनों एक प्रोफ़ेसर ने वैज्ञानिक सोच और अंधविश्वास के अंतर को अति सुन्दर उदाहरण के साथ बताया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच गाय के दूध को पौष्टिक व मक्खन, घी,दही पनीर छाछ आदि बनाने का माध्यम बताती है जोकि पूर्णतयः सच है। परन्तु अंधविश्वास उसी दूध को अन्यत्र, नाले नालियों में या सड़कों पर फिकवा देता है और गन्दी व फेंकने वाली चीज़ यानी गौमूत्र व गोबर को सेवन के लिये प्रेरित करता है। अंधविश्वास ही है जो बिल्ली के रास्ता काटने पर किसी अनहोनी के भय से ग्रसित कर देता है। इसी तरह के सैकड़ों ‘कृत्य’ हैं जो अन्धिवश्वास के चलते गोया आम लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुके हैं।
यही अंधविश्वास जब अपने उत्कर्ष पर पहुंचता है तो इसी से जन्म लेते हैं तंत्र मन्त्र जादू टोना टोटका आदि। प्रत्येक वर्ष देश के हज़ारों लोग इसी तंत्र मन्त्र टोना टोटका की भेंट चढ़ जाते हैं। अंधविश्वास की यह पराकाष्ठा जब तंत्र मन्त्र टोना टोटका के चक्करों में उलझ जाती है फिर यह ख़ूनी रिश्तों का भी ख़ून कर देती है। ऐसे हज़ारों दिल दहलाने वाले उदाहरण पूरे देश में देखे जा सकते हैं। ताज़ा घटना झारखंड के जमशेदपुर ज़िले के अंतर्गत उलीडीह थाना क्षेत्र की न्यू सुभाष कॉलोनी इलाक़े की है। यहां अमरनाथ सिंह नामक एक व्यक्ति की उसी की पत्नी मीरा सिंह ने पहले तो हत्या कर दी बाद में उसका शव जलाने का प्रयास किया। पुलिस जब घटनास्थल पर दरवाज़ा तोड़कर अंदर पहुंची तो अमरनाथ सिंह का अधजला शव मिला। शव के आसपास ही तंत्र-मंत्र में प्रयोग किये जाने वाले कई सामान रखे थे। घटनास्थल को देखकर साफ़ लग रहा था कि किसी ने शव के पास बैठकर तंत्र-मंत्र टोना टोटका आदि किया हो। घर के सभी कमरों की जांच की गयी तो कमरे की दीवारों पर कई जगह ‘ओम’ लिखा पाया गया। स्वयं मीरा के कमरे की दीवारों पर अनेक प्रकार की चीज़ें लिखी थीं, जिन्हें पेंट द्वारा मिटाने की कोशिश भी की गयी थी।
जुलाई 2018 में दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र की उस लोमहर्षक घटना को भला कैसे भूला जा सकता है जबकि ‘मोक्ष प्राप्त’ करने की चाहत में भाटिया परिवार के 77 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु तक के 11 पुरुष व महिला सदस्यों ने मौत को गले लगा लिया था। किसी ने ज़हरीला पदार्थ खाकर जान दी तो कई फांसी के फंदे पर लटके मिले थे। पुलिस के अनुसार नारायण नमक एक महिला की कमरे में गला घोंटकर हत्या की गई, फिर नाबालिगों को परिवार के अन्य सदस्यों ने जबरन फंदे से लटका दिया, इसके बाद बचे लोगों ने खुदकशी कर ली थी। पड़ोसियों ने घटना के बाद बताया था कि भाटिया के घर में कई रहस्यमयी काम भी होते थे। उस समय मृतकों के घर से जो काग़ज़ात मिले थे वे घटना का सम्बन्ध अध्यात्म, टोना-टोटका और तंत्र-मंत्र से होने का संदेह पैदा कर रहे थे। भाटिया के पड़ोसियों ने यह भी बताया था कि भाटिया परिवार काफ़ी धार्मिक विचारों वाला था और रोज़ाना रात में कीर्तन करने के बाद ही सोया करता ता था। भाटिया की घर में ही एक परचून की व दूसरी प्लाईवुड की दुकानें थीं। उनकी एक बहू दुकान पर हर दिन बोर्ड पर कोई न कोई ‘सुविचार’ लिखा करती थी। उस समय भी पुलिस ने यही निष्कर्ष निकला था कि पूरे भाटिया परिवार की मौत तंत्र-मंत्र के चक्कर में हुई है। इस परिवार के सदस्य मोक्ष की चाहत रखते थे और उनके घरों में इसके लिए अजीब अजीब अनुष्ठान भी किए जाते थे। इस परिवार के सभी सदस्य नियमित पूजा-पाठ करते थे। ये लोग समय-समय पर भंडारे का आयोजन भी किया करते थे। इसी परिवार के एक बेटे ने तो गत पांच वर्ष से मौन व्रत भी धारण कर रखा था। मरने वालों में वह भी शामिल था।
इसी तरह इसी वर्ष जनवरी में उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले के क़ासिमाबाद क्षेत्र में अपने ननिहाल आई डेढ़ वर्ष की बच्ची की उसी पड़ोसी एक महिला ने गला दबाकर हत्या कर दी और शव घर के पीछे फेंक दिया। इस घटना के बाद पड़ोसी महिला पर आरोप लगा था कि उसने तंत्र-मंत्र के चक्कर में मासूम की बलि ली है। बच्ची की मां ने उस समय यह आरोप लगाया था कि हत्यारिन मुन्नी चौहान को कोई बीमारी है। वह झाड़ फूंक जादू टोना के चक्कर में इधर-उधर घूमा करती है।और आख़िरकार किसी तांत्रिक ने उसे किसी जीव की बलि देने की सलाह दी थी। इस वजह से ही उसने उसकी बेटी की बलि दे दी। मेरठ में एक सगी ताई ने अपने 14 साल के बेटे के साथ मिलकर तंत्र मंत्र के चलते पांच साल के बच्चे की हत्या कर दी। ताई ने दराती से अपने भतीजे का गला काट दिया। एक आरोपी मुकेश ने उस समय बताया था कि उसके 8 बच्चे जन्म लेने के बाद मर चुके थे और जो दो बेटे हैं वह भी अक्सर बीमार रहते हैं। घटना से तीन माह पूर्व मंदिर में उससे कहा गया था की यदि बच्चे की बलि दे दो, तो दोनों बच्चे बच जायेंगे। इसीलिये उसने अपने पत्नी व बेटे के साथ मिलकर अपने भतीजे की ही बलि ले ली। इसी तरह झारखंड के गढ़वा ज़िले में तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए पहले एक महिला की हत्या की गयी फिर उसकी जीभ काटी गयी और फिर उसके प्राइवेट पार्ट के टुकड़े टुकड़े कर दिये गए। इसी प्रकार तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के मारे एक पिता ने भूत भगाने के चक्कर में अपनी ही बेटी को मार डाला। लड़की का ताऊ तंत्र-मंत्र में विश्वास रखता था।
ऐसी हज़ारों नहीं बल्कि लाखों अन्धविश्वास पूर्ण घटनायें देश में घट चुकी हैं जिनमें लाखों लोग अकाल मौत के मुंह में जा चुके हैं। कारण होता है केवल अंधविश्वास और उसकी पराकाष्ठा से उपजा जादू टोना तंत्र मन्त्र विद्या आदि। चिंता की बात तो यह है कि ऐसे अनेकानेक घटनाओं के बावजूद आज भी ऐसे अंधविश्वासी लोग समाज में अपने पर फैलाये हुये हैं और लोगों की जान लेने पर आमादा हैं। यह निठल्लों द्वारा गढ़ित यह पाखण्ड पूर्ण तथाकथित विद्या दरअसल सम्पूर्ण मानवता के लिये ख़तरा है। ऐसे में ज़रुरत इस बात की है कि तंत्र-मंत्र-टोना-टोटका पर यथा शीघ्र सख़्त प्रतिबंध लगाया जाये और इसतरह के अंधविश्वास फैलाने व इसे धंधा बनाने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाये।