विजय कनौजिया
हमारे जीवन में एकजुटता का जो महत्व है उसे हमें अंगूर के गुच्छे से सीखनी चाहिए । हम सभी ने अक्सर देखा है कि फल विक्रेता के पास दो किस्म के अंगूर विक्रय के लिए पाए जाते हैं, एक गुच्छे वाला और दूसरा गुच्छे से अलग हुए वाला अंगूर । जिसमें गुच्छे वाले अंगूर की कीमत निश्चित रूप से ही अधिक और गुच्छे से अलग हुए वाले अंगूर की कीमत बहुत ही कम होती है। और सीखने वाली बात ये और अधिक है कि गुच्छे वाला अंगूर अधिक कीमत होने के बावजूद भी सबसे ज्यादा खरीदा जाता है । क्योंकि गुच्छे में ही इसका आकर्षण एवं महत्व है । जो की ये हमें भी पता होता है कि अंगूर के जीवन का आकर्षण गुच्छे में अधिक है, इससे अलग होते ही इसका आकर्षण एवं जीवन की महत्ता शीघ्र ही धूमिल हो जाएगी ।
ठीक इसी तरह हमारा मानव जीवन है । हमारे इर्द- गिर्द जो भी संबंध रूपी अंगूर के गुच्छे हैं, उनका मूल्य और महत्व अंगूर के गुच्छे की भांति है । जो कि एकजुटता के महत्व को दर्शाता है, जिसमें हम एकजुट होकर ही अपने जीवन मूल्यों को बढ़ा सकते हैं । क्योंकि एकाकी व्यक्तित्व का आकर्षण अधिक दिन तक नहीं रहता है, हम शीघ्र ही गुच्छे से अलग हुए अंगूर की भांति अपने जीवन मूल्यों को खोते चले जाते हैं ।
हमारे जीवन का जो सौंदर्य है वो संबंधों के एकजुटता रूपी गुच्छे में है, इसीलिए एकजुटता की महत्ता व मूल्यों को बनाए रखने के लिए सामंजस्य बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है । इस पर मेरी कुछ पंक्तियां भी अपने भाव प्रकट करती हैं कि –
“मतभेद नहीं हो रिश्तों में
सामंजस्य हमेशा बना रहे
ना तुम रूठो ना मैं रूठूँ
ये प्यार हमेशा बना रहे..।।
ये साथ मधुर संबंधों का
जीवन भर मधुर बनाएंगे
है सुखद भाव अंतर्मन में
ये साथ हमेशा बना रहे..।।
जीवन बगिया में पुष्प खिलें
भौरों का मदमस्त समर्पण हो
जो भी है अर्पण कर दूं मैं
ये भाव हमेशा बना रहे..।।”
मेरी उपर्युक्त पंक्तियां भी ये दर्शाती हैं कि किस तरह के भावों के साथ हम अपने जीवन को मधुर एवं मूल्यवान बना सकते हैं । तो आइए हम अपने जीवन को एकजुटता की लड़ी में पिरोकर, अपने संबंधों को अंगूर के गुच्छे का स्वरूप देकर, अपने जीवन को मूल्यवान बनाते हैं ।