पोलावरम केस: SC ने केंद्र सरकार पर लगाया 25 हजार रुपये का जुर्माना

asiakhabar.com | November 7, 2017 | 5:39 pm IST
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नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने पोलावरम मामले में जवाब न देने पर केंद्र सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

पोलावरम बांध के लिए हुए अन्तर्राज्यीय समझौते में अविभाजित मध्यप्रदेश(अब छत्तीसगढ़) अविभाजित आन्ध्रप्रदेश (अब तेलगाना सीमांध्र) व ओडिशा राज्य शामिल है। इस परियोजना के जरिए इन राज्यों में सिंचाई, बिजली पैदा करने के अलावा कृष्णा कछार में जल व्यपवर्तन का काम पूरा करना था।

Polavaram case: Supreme Court imposes a fine of Rs 25,000 on central government after not getting their reply in the case.

— ANI (@ANI) November 7, 2017

दोरला आदिवासियों के लुप्‍त होने का डर-

जानकारों का मानना है कि पोलावरम परियोजना से दोरला आदिवासी प्रभावित होंगे और इससे इनके विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाएगा।

गौरतलब है कि पोलावरम अन्तर्राज्यीय परियोजना के लिए समझौते पर दस्तखत 7 अगस्त 1978 को अविभाजित मध्यप्रदेश की जनता पार्टी की सरकार ने किया था। तब मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा थे। इसके बाद संशोधित समझौता 2 अप्रैल 1980 को किया गया।

आन्ध्र प्रदेश में बन रहा पोलावरम बांध-

पोलावरम बांध का निर्माण सालों से चल रहा है। बांध निर्माण से प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा कोंटा पूरी तरह प्रभावित होगा। पूरे ब्लॉक में दोरला जनजाति के कई गांव हैं, जिस पर डूबने का संकट गहराया हुआ है। इस बांध की उंचाई कम करने के लिए कोंटा इलाके व सुकमा जिले के कई नेताओं ने सभाओं का आयोजन भी किया। और सरकार के समक्ष कई बार मांगें भी रखी। वहीं उड़ीसा के भी कई गांव इस प्रोजेक्ट की वजह से प्रभावित हो रहे हैं।

डूब जाएंगे 18 गांव-

ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पोलावरम बांध की वजह से सुकमा जिले के कोंटा सहित 18 गांव और करीब आठ हजार हेैक्टेयर भूमि जलमग्‍न हो जाएगी। वहीं नेशनल हाईवे के 30 फीसद हिस्से के डूबने की बात कही जा रही है।


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