हरी राम यादव
चाटुकार को राखिए,
छाती से चिपकाय।
जो नाकामी को आपकी,
उपलब्धि देय बताय।
उपलब्धि देय बताय,
धाय कर-2 दे विज्ञापन।
योजना किसी और की,
फोटो को कह दे आपन।
गजब लोक भरमाने की,
‘हरी’ अजब रीति चली।
फैल रही हैं झूठी बातें,
मीडिया,शहर, गांव गली ।।