डा. वरिंदर भाटिया-
देश में अब डिजिटल शिक्षा का जमाना है। इसमें डिजिटल लाइब्रेरी कल्चर में बदलाव महत्वपूर्ण रोल
निभा सकता है। खासतौर से छात्रों और उनकी डिजिटल शिक्षा पर फोकस करते हुए कई अहम कदम
उठाए जा रहे हैं। इसी दिशा में नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी को प्रमुख माना जा रहा है। हाल ही में
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2023 को इस संबंध में घोषणा की कि बच्चों और
किशोरों के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी ताकि विभिन्न भौगोलिक
क्षेत्रों, भाषाओं, शैलियों और स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
डिजिटल लाइब्रेरी एक ऐसा पुस्तकालय है जिसमें पुस्तकों का संग्रह डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में
होता है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों एवं कंप्यूटर के माध्यम से इसका उपयोग किया जा सकता है।
डिजिटल लाइब्रेरी को ऑनलाइन लाइब्रेरी, इंटरनेट लाइब्रेरी, डिजिटल रिपॉजिटरी या डिजिटल संग्रह के
रूप में भी जाना जाता है। यह डिजिटल वस्तुओं का एक ऑनलाइन डेटाबेस है जिसमें टेक्स्ट, इमेज,
ऑडियो, वीडियो, डिजिटल दस्तावेज के रूप में पुस्तकें शामिल हो सकती हैं। इस प्रकार की लाइब्रेरी
को इंटरनेट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। प्रमुख अंतर यह है कि डिजिटल पुस्तकालय
में संसाधन केवल मशीन-पठनीय रूप में उपलब्ध होते हैं। नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी में डिजिटल
वस्तुओं का भंडार होगा, जैसे किताबें, लेख, छवियां, वीडियो और मल्टीमीडिया आदि। यह
उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट के जरिए पहुंच के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।
नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी सूचना और ज्ञान तक पहुंच प्रदान करेगा। राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी की
शुरुआत से देश भर के सभी उपयोगकर्ता लाभान्वित होंगे। जानकारी की आसान खोज और पुनप्र्राप्ति
के साथ-साथ जानकारी को सुरक्षित रखने की क्षमता से भविष्य की पीढिय़ों को एक स्थायी तरीका
भी मिलेगा। वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने का प्रस्ताव समावेशी विकास के
हिस्से के रूप में दिया है। भारतीय छात्र आने वाले वक्त में इसी नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की मदद
से अपना ज्ञान वर्धन करेंगे। विशेषज्ञों का मत है कि डिजिटल युग में भारत की तरफ से राष्ट्र
निर्माण की दिशा में यह कदम सबसे कारगर साबित होगा। चूंकि बच्चों की सीखने की क्षमता अधिक
होती है, ऐसे में उनके बढ़ते डिजिटल रुझान के मद्देनजर नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी मील का पत्थर
साबित हो सकती है। सरकार द्वारा बच्चों के लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा पूरे देश में
पंचायत और वार्ड स्तर पर देने की बात सामने आई है। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने भी कहा
है कि राज्यों को बच्चों के लिए पंचायत और वार्ड स्तरों पर वर्चुअल पुस्तकालय स्थापित करने और
राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय संसाधनों तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचा देने के लिए प्रोत्साहित
किया जाएगा।
ऐसे में राज्यों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वे भी इस कार्य में रुचि लें और देश के विकास में
योगदान अदा करें। डिजिटल साक्षरता में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग भी
इस पहल का एक हिस्सा होगा। वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने के लिए वित्तीय क्षेत्र के नियामकों और
संगठनों को इन पुस्तकालयों को आयु-उपयुक्त पठन सामग्री प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया
जाएगा। ज्ञात हो डिजिटल एपिग्राफी म्यूजियम में एक लाख प्राचीन शिलालेख मौजूद हैं। इन
शिलालेखों के भंडार को एक डिजिटल एपिग्राफी में स्थापित किया जाएगा। रिपॉजिटरी पहले चरण में
एक लाख प्राचीन शिलालेखों का डिजिटलीकरण करेगी। इससे देश में शिक्षा की नई संस्कृति का
निर्माण करने और महामारी के समय सीखने के नुकसान की भरपाई की जा सकेगी। इस दिशा में
नेशनल बुक ट्रस्ट, चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट और अन्य सोर्स को इन भौतिक पुस्तकालयों को क्षेत्रीय भाषाओं
और अंग्रेजी में गैर-पाठ्यचर्या संबंधी शीर्षक देने और भरने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह
अध्ययन सामग्री की पहुंच के विस्तार के साथ छात्रों के बीच एक मजबूत पठन संस्कृति का भी
निर्माण करेगा। स्पष्ट है कि सरकार के इस कदम से नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की उपलब्धता की
सुविधा से बच्चों को अधिक गुणवत्ता वाली किताबें पढऩे का मौका मिल सकेगा। महज इतना ही नहीं,
नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी में बच्चों को तमाम भाषाओं, भौगोलिक, शैलियों और स्तरों की पुस्तकें भी
आसानी से उपलब्ध होंगी। उल्लेखनीय है कि शिक्षा क्षेत्र के कई हितधारक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर
बच्चों और किशोरों के लिए विभिन्न विषयों में सीखने के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सरकार
द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव से बेहद खुश हैं।
इसलिए उन्होंने नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना को एक महान नीतिगत उपाय बताया है।
भारत डिजिटल शिक्षा की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है जिसमें स्कूल, विश्वविद्यालय और
कॉलेज द्वारा डिजिटलीकरण को अपनाने, इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने और छात्रों की बढ़ती मांग से
समर्थित है। देश में डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर सरकार के फोकस से डिजिटल
शिक्षा को महत्वपूर्ण रूप से प्रेरित किया गया है जिसमें दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी
प्रदान करना शामिल है। डिजिटल शिक्षा एक तकनीक या सीखने की विधि है जिसमें प्रौद्योगिकी और
डिजिटल उपकरण शामिल हैं। यह एक नया और व्यापक तकनीकी क्षेत्र है जो किसी भी छात्र को
ज्ञान प्राप्त करने और देश भर के किसी भी कोने से जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा। ऐसा
माना जाता है कि भारत में डिजिटल शिक्षा और सीखने का भविष्य है। डिजिटल शिक्षा के जरिए
कक्षाओं का शिक्षण अधिक मजेदार और संवादात्मक बन गया है। बच्चे इस पर अधिक ध्यान दे रहे
हैं। वह न केवल इसे सुन रहे हैं, बल्कि इसे स्क्रीन पर देख भी रहे हैं, जिससे उनके सीखने की
क्षमता में काफी इजाफा हो रहा है। ध्वनियों और दृश्यों के माध्यम से बच्चे आसानी से सीख रहे हैं।
शैक्षणिक सामग्री छात्रों को विवरणों पर और अधिक ध्यान देने में मदद करती है जिससे वे अपनी
गतिविधियों को अपने दम से पूरा करने में सक्षम होते हैं। ऑनलाइन स्क्रीन की सहायता से छात्र
अपने भाषा कौशल में सुधार कर लेते हैं। ई-बुक से या ऑनलाइन अध्ययन सामग्री के जरिए वे नए
शब्द सीखते हैं और अपनी शब्दावली का विस्तार करते हैं। एक छात्र अपने शिक्षक से कक्षा में
प्रशिक्षण के दौरान प्रश्न पूछने से झिझकता है।
लेकिन डिजिटल शिक्षा के माध्यम से भले ही वह एक बार में कुछ भी न समझ पाए, फिर भी वे
अपनी दुविधा को मिटाने के लिए रिकॉर्डिंग सत्र में शामिल हो सकते हैं। डिजिटल शिक्षा के माध्यम
से छात्रों और शिक्षकों के बीच सीखने को अधिक आकर्षक और संवादात्मक बनाया जा सकता है।
भारत में डिजिटल शिक्षा के साथ चुनौतियां यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश भर के छात्रों तक
डिजिटल शिक्षा पहुंचाई जा सके, सरकार को बहुत सारे प्रौद्योगिकी-आधारित अनुकूलन का सामना
करना पड़ेगा। भारत में डिजिटल शिक्षा के साथ कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं जैसे सभी के लिए इंटरनेट
कनेक्शन की उपलब्धता डिजिटल शिक्षा के लिए सबसे बड़ी आवश्यकताओं में से एक है। सूचना तक
आसान पहुंच के लिए सरकार को इसे हासिल करना होगा। सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के
लोगों को उपकरण और तकनीक उपलब्ध कराना ताकि वे शिक्षा से वंचित न रहें। शिक्षकों को
प्रशिक्षित करना एक और चुनौती है। जब शिक्षक तकनीकी रूप से सक्षम होंगे तभी वे डिजिटल
कक्षाएं संचालित कर सकते हैं। डिजिटल लागत को प्रभावी बनाना हर सरकार का प्रमुख उद्देश्य होना
चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल कक्षाओं के लिए
उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। राज्य सरकारों को डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए
इस दिशा में तुरंत काम करना चाहिए।