बर्लिन। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के वैश्विक समझौते को लागू करने पर चर्चा के लिए जर्मनी के बॉन शहर में अगले सप्ताह सम्मेलन होगा। इसमें विभिन्न देशों की सरकार, वैज्ञानिक, उद्योग समूह और पर्यावरण कार्यकर्ता शामिल होंगे। सम्मेलन में अमेरिका के शामिल होने को लेकर अनिश्चितता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी। बॉन में छह से 17 नवंबर तक होने वाले 23वें कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी) में 195 देशों में से अधिकतर के शामिल होने की संभावना है। सम्मेलन की अध्यक्षता फिजी करेगा।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सबसे अधिक खतरा फिजी और अन्य छोटे द्वीप देशों पर मंडरा रहा है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इसमें हिस्सा लेने की संभावना है। जर्मनी की पर्यावरण मंत्री बारबरा हेंड्रिक्स ने कहा कि सम्मेलन में शामिल होने वाले देश पेरिस समझौते को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध प्रतीत होते हैं।
सम्मेलन में वार्ताकार हर देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन मापने के तरीकों पर सहमत होने का प्रयास करेंगे। साथ ही यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी समान नियम का पालन करें।
शोधकर्ताओं का कहना है कि हाल के महीनों में कैरिबियन में तूफान, यूरोप में लू चलने और दक्षिण एशिया में बाढ़ की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के चलते बार-बार हो रही हैं। इन विनाशकारी परिणामों को रोकने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था को जीवाश्म ईंधन से दूर करने के लिए देशों को सम्मिलित प्रयास करना होगा।
इसके साथ ही समुद्र के बढ़ते स्तर जैसे कुछ अपरिहार्य प्रभावों के समाधान के लिए काम करना होगा। वाशिंगटन स्थित पर्यावरण थिंक थैंक वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के प्रमुख एंड्रयू स्टीयर ने कहा कि जितना लोग समझ रहे, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है यह सीओपी।