-विजय कुमार जैन-
पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से युवा पीढ़ी प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों से विमुख हो रही है।
आधुनिक संचार क्रांति एवं सोशल मीडिया के निरंतर बढ़ते प्रभाव से जितने लाभ हैं, उनसे ज्यादा नुकसान युवा
पीढ़ी को हो रहा है। युवा वर्ग अनेक विकृतियों से घिर गया है। समय का प्रभाव कहें या पाश्चात्य संस्कृति का
प्रभाव कहें आज के युवा वर्ग की जीवन शैली ही पूरी तरह से बदल गयी है। युवाओं की सोच एवं जीवन शैली में
परिवर्तन होना गंभीर एवं विचारणीय प्रश्न है। सहशिक्षा, प्रेम विवाह, अन्तर्जातीय विवाह, क्लव संस्कृति, विवाह पूर्व
फिल्मांकन, हनीमून यात्रा, शराब, स्मैक, हुक्का आदि से नशा करने की अनेक गंदी आदतें युवाओं में बढ़ती जा रही
हैं। आज हम युवाओं की एक और गलत आदत प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व नहीं जागने का उल्लेख कर रहे हैं। मेरे
सहयोगी समाज सेवी अभिन्न मित्र अजय जैन वरया ललितपुर ने ज्वलंत समस्या पर हमारा ध्यान आकर्षित किया
है।
आपका कहना है आज के अधिकतर युवक उगते हुए सूरज को देख ही नहीं पाते, उन्हें नहीं पता कि सूरज कब
उगता है और कैसा दिखता है उगते हुए सूरज को देखने से कुछ मिनिट संपर्क में रहने से क्या-क्या लाभ होते हैं।
वह इन सब से अनभिज्ञ है। क्योंकि वर्तमान परिवेश के अधिकांश युवा वर्ग सुबह 9:00 से 11:00 बजे तक बिस्तर
पर ही रहता हैं। यह हाल किसी एक परिवार का नहीं है।ऐसे भारत देश में अधिकतर परिवार देखने को मिल जाएंगे।
आज जहां मोबाइल कई लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है वहीं अधिकांश युवाओं के लिए अभिशाप बन रहा है।
भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद का उल्लेख है आयुर्वेद के दिशा निर्देश अनुसार रात्रि 10:00 बजे तक सोने का समय
होता है इसके विपरीत युवा वर्ग रात्रि 10:00 बजे से मोबाइल चलाना प्रारंभ करता है और 12:00 बजे से 1:00 बजे
तक मोबाइल में ही उलझा रहता है। जिसके परिणाम स्वरुप में देर सुबह तक अपनी नींद पूरी करने के लिए मजबूर
हो जाता है। बच्चों की इस जीवन शैली से माता-पिता तनाव में रहते हैं, वही बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव
पड़ता है।
आज के अधिकतर बच्चों, किशोरों एवं युवकों को चश्मा लग रहे हैं। क्योंकि उनकी आंखों की रोशनी कम हो रही है।
बच्चों में देर रात तक जागने के कारण चिड़चिड़ापन भी हो रहा है। साथ ही जैसे युवा अवस्था में बच्चों को मां-बाप
का सहारा बनना चाहिये।अपना भविष्य बनाने की सोचना चाहिए। लेकिन कुछ उल्टा ही हो रहा है। आज बच्चों के
माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। साथ ही बच्चे भी तनावग्रस्त हो रहे हैं।अपनी
ऊर्जा का सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं। माता-पिता और परिवार जन चाहते है युवा वर्ग सही समय पर सोना और
सही समय पर उठना प्रारंभ कर दें और सूर्य की प्रथम किरण का आनंद ले। वर्तमान में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से
युवाओं के शरीर की चमड़ी कठोर नजर आती है उसमें भी सुधार आएगा। और शरीर में खून का संचार ठीक रहेगा।
अगर आप ज्यादा देर तक सोते हैं तो दिल की सेहत पर बोझ पड़ने लगता है।
वर्ष 2013 में अमेरिकन जर्नल आफ कार्डियोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक सोने से लेफ्ट
वेंट्रिकुलर का वजन बढ़ सकता है। जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ने लगती है। न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित
एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि कम नींद की वजह से कार्डियोवैस्कुलर रोगों का खतरा 18 फीसदी बढ़
जाता है। जबकि देर तक सोने की वजह से स्ट्रोक का जोखिम 40 फीसदी रहता है। स्मरणीय है कि अच्छे स्वास्थ्य
के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। भरपूर नींद लेने से आपको दिन के कामों को करने के लिए ऊर्जा मिलती है। रोजाना
8 से 9 घंटों की नींद लेते हैं तो डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं से भी आपका बचाव होता है।
इसका यह बिल्कुल भी मतलब नहीं कि घंटों सोते रहे। क्योंकि यह आदत आपको बीमार बना सकती है। ज्यादा देर
तक सोना व सुबह के समय देर तक सोने से आपको कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में अधिक सोना डिप्रेशन, हृदय संबंधी रोग, थायराइड और कुछ विशेष प्रकार की
बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। इसलिए इस स्थिति को ठीक से समझना जरूरी है लंबे समय तक सोना
आपके मूड को भी प्रभावित कर सकता है और इससे आपको अवसाद भी हो सकता है। नींद मस्तिष्क में
न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करती है। लंबी नींद से शारीरिक गतिविधि कम हो जाती हैं। जबकि न्यूरोट्रांसमीटर के
स्तर को बढ़ाने के लिए अधिक शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण है। जो आप की मनोदशा को बेहतर बनाती है।
वर्तमान में युवक युवती उच्च शिक्षा हेतु बड़े नगरों में जाते है। बड़े नगरों में अपने मित्रों के संपर्क से मौज मस्ती
करने बड़े बड़े होटलों एवं क्लवों में जाने लगते है। माता-पिता समझते हैं उनकी संतान उच्च अध्ययन कर रही है,
मगर ये अपने परिवार को धोखा देते हैं।
पिछले दस वर्ष पुरानी घटना है हम सामाजिक बैठक में भाग लेने रेल से प्रात: 6 बजे हजरत निजामुद्दीन रेल
स्टेशन उतरे। हम टेक्सी से जा रहे थे, स्टेशन के समीप एक होटल से प्रातः युवक युवतियों की भीड़ निकली। मैंने
मेरे मित्र महेन्द्र जैन से जिज्ञासा से पूछा सुबह यह भीड़ कहाँ से आ रही है। उन्होंने मुझे बताया शनिवार को रात
में युवक होटल जाते हैं, वहाँ रात भर खाना पीना, नाचना गाना और अनैतिक कार्य करते हैं। प्रात: होटल से
निकलकर अपने आवास पर जाकर सो जाते हैं। रात भर मौज मस्ती करना, फिर प्रातः आवास पर जाकर सो जाना,
वहुत ही अशोभनीय आदत है। इस गंदी आदत से ग्रसित युवक युवती परिवार एवं समाज का नुकसान कर रहैं।
स्वयं के जीवन को भी निराशाजनक बना रहे हैं।
इसलिए सोने का एक नियम बनाएं आयुर्वेद विशेषज्ञों की मानें तो अतिरिक्त नींद और मोटापे के बीच एक
कनेक्शन है। यदिआप लंबे समय तक सो रहे हैं तो आप इस अवधि के लिए शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं। कम
शारीरिक गतिविधि का मतलब है कि आपका शरीर कम कैलोरी खर्च कर पा रहा है। जिससे आपका वजन बढ़ने
लगता है स्लीप पत्रिका में प्रकाशित सन् 2008 के एक शोध अनुसार लंबे समय तक सोने से भविष्य में वजन
बढ़ने के अलावा हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर की आशंका हो जाती है इसलिए अपने सोने की अवधि को 8
घंटे से ज्यादा ना बढ़ाएं जब आपका शरीर स्वस्थ रहेगा तभी आप अपने लिए, अपने परिवार के लिए और अपने
समाज के लिए कुछ हटकर कर पाएंगे। क्योंकि युवा शक्ति ही वह शक्ति है जो अपने परिवार में अपने देश में
सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। वैसे भी कहा गया है युवा शक्ति ही देश की कर्णधार है।भारतीय युवा शक्ति में
आ रही विकृतियों पर विराम लगाना देश हित एवं समाज हित में है।