काठमांडू। नेपाल प्रशासन एवरेस्ट बेस कैंप को कहीं और स्थानांतरित करने की कोशिश में लगे
हुए हैं क्योंकि इस पर दिन-प्रतिदिन खतरा मंडराता नजर आ रहा है। बीबीसी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में यह
जानकारी दी।जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या और यहां मानवीय गतिविधियों में इजाफा होने की
वजह से ग्लेशियर धीरे-धीरे पिघल रहे हैं। वसंत ऋतु के दौरान जब पहाड़ों की चढ़ाई का उपयुक्त समय आता है,
तब औसतन 1,500 लोग एवरेस्ट बेस कैंप का प्रयोग करते हैं, जो तेजी से पिघलते खुम्बु ग्लेशियर पर स्थित है।
एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया, नए जगह की तलाश किसी कम ऊंचाई वाले जगह पर की जा रही है, जहां
साल भर बर्फ नहीं होगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि पिघले हुए पानी से ग्लेशियर में अस्थिरता पैदा हो जाती है
और पर्वतारोहियों का कहना है कि इससे बेस कैंप में दरारें बढ़ती जा रही हैं, जिसका अनुभव यहां सोते समय
महसूस होता है। अधिकारी कहते हैं, यह कैंप फिलहाल 5,364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और नया बेस कैंप
इससे 200 से 400 मीटर नीचे स्थित होगा। दरअसल, नए बेस कैंप की सिफारिश एवरेस्ट क्षेत्र में पर्वतारोहण की
सुविधा और निगरानी को ध्यान में रखते हुए नेपाल सरकार द्वारा गठित एक समिति की तरफ से की गई है।