उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद मई में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि स्थिर रहीः रिपोर्ट

asiakhabar.com | June 1, 2022 | 4:44 pm IST
View Details

नई दिल्ली। भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि मई में स्थिर रही, नए ऑर्डर और उत्पादन में
वृद्धि की दर पिछले महीने जैसी बनी रही जबकि बिक्री कीमतों में उछाल के बावजूद मांग में लचीलेपन के संकेत
देखने को मिले।
एसएंडपी की भारतीय विनिर्माण परिदृश्य के बारे में बुधवार को जारी मासिक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया
गया। इसके मुताबिक, मई में विनिर्माण क्षेत्र का खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) 54.6 रहा जो अप्रैल में 54.7
पर था। यह विनिर्माण क्षेत्र में पुनरुद्धार गतिविधियों के काफी हद तक स्थिर रहने का संकेत है। मई के पीएमआई
आंकड़े लगातार 11वें महीने में समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार का जिक्र करते हैं। पीएमआई 50 से ऊपर होने
का मतलब विस्तार होता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर संकुचन को दर्शाता है।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में एसोसिएट डाइरेक्टर (अर्थशास्त्र) पोलियाना डी लीमा ने कहा, ‘भारत के
विनिर्माण क्षेत्र ने मई में मजबूत विकास गति को बनाए रखा। अंतरराष्ट्रीय बिक्री में सबसे तेज वृद्धि के लिए
धन्यवाद, कुल नए ऑर्डर में भी बढ़ोतरी हुई। मांग में लचीलापन को देखते हुए अपने स्टॉक को नए सिरे से तैयार
करने की कोशिशें जारी रखीं और अतिरिक्त लोगों को काम पर भी रखा।’
इस रिपोर्ट के मुताबिक, नया कारोबारी बढ़त के बीच विनिर्माताओं ने मई में अपना उत्पादन बढ़ाने की कोशिशें
जारी रखीं। मांग में सुधार और कोविड-19 से संबंधित पाबंदियां हटने से भी इसे बल मिला। सर्वेक्षण रिपोर्ट कहती
है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर काफी हद तक अप्रैल के अनुरूप ही थी।
नए निर्यात ऑर्डर मिलने की दर भी मई में बढ़ी है। यह अप्रैल 2011 के बाद का सबसे तीव्र और सबसे तेज
विस्तार है। बिक्री में जारी सुधार के कारण मई में विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियां भी बढ़ीं। मामूली वृद्धि होने के
बावजूद विनिर्माण क्षेत्र की रोजगार वृद्धि दर जनवरी 2020 के बाद सबसे मजबूत हो गई है।
कीमतों के मोर्चे पर मई लगातार 22वां महीना रहा जब उत्पादन की लागत बढ़ी है। कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक
उपकरणों, बिजली, खाद्य पदार्थों, धातुओं और वस्त्रों के लिए उच्च कीमतें दर्ज की। सर्वेक्षण के मुताबिक, मई में
मुद्रास्फीति की चिंताओं से कारोबारी धारणा पर प्रतिकूल असर पड़ा और कारोबारी विश्वास का समग्र स्तर दो साल
में नीचे से दूसरे स्थान पर रहा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *