आपके आसपास ही रहता है बहुत से रोगों का इलाज, जाने केसे

asiakhabar.com | April 27, 2022 | 3:49 pm IST
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-डॉ.दीपक आचार्य-
बहुत सारे रोगों का इलाज घरों के आसपास ही मौजूद रहता है बस जरूरत है उन्हें ध्यान से देखने की। बता रहे हैं
आयुर्वेद और जड़ी बूटियों के बारे में बेहरतीन ज्ञान रखने वाले डॉ. दीपक आचार्य, उनसे संपर्क करने के लिए आप
9824050784 पर उनसे संपर्क कर सकते हैं।
पेट के कृमियों का परंपरागत उपचार

पेट में कीड़े या कृमि यह रोग ज्यादातर बच्चों में ही पाया जाता है। इस रोग के कारण शरीर का वजन कम होने
लगता है तथा मल में साथ में कीड़े भी निकलने लगते है। इसके उपचार के लिए आधा ग्राम अजवाइन में उतने
वजन का गुड मिलाकर दिन में तीन बार खिलाने से लाभ होता है।
यह 3-5 वर्षों के बच्चों को खिलाना चाहिए। बच्चों को सुबह 10 ग्राम गुड खिलाना चाहिए इससे पेट के सारे कीड़े
एकत्रित हो जाते है इसके बाद आधा ग्राम अजवाइन का चूर्ण बासी पानी से खिलाने से कीड़े मल के साथ निकल
जाते है। अगर यही समस्या वयस्कों को हो तो उन्हें 50 ग्राम गुड खाने के बाद 2 ग्राम अजवाइन का चूर्ण बासी
पानी के साथ लेना चाहिए। बच्चों को रात को सोने से पहले आधा ग्राम अजवाइन के चूर्ण में चुटकी भर काला
नमक मिलाकर गुनगुने पाने से देना चाहिए इससे सारे कीड़े मरकर सुबह मल के साथ निकल जायेंगे।
वयस्क इससे दुगनी मात्रा में इसका प्रयोग करें। अजवाइन का चूर्ण मट्ठे के साथ लेने से भी लाभ मिलता है।
टमाटर के साथ कालीमिर्च और सैंधा नमक मिलकर खाने से भी आराम मिलता है। निम्बू के बीजो को पीसकर
उसका चूर्ण 1 ग्राम बच्चों को और 3 ग्राम वयस्कों को गुनगुने पानी के साथ देने से आराम मिलता है। बच्चो को
एक सेव फल रात को छिलके समेत खिलाना चाहिए..पर उसके बाद पानी नहीं पिलाना चाहिए ऐसा करने से एक
सप्ताह में पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है.. अनार का रस पीने से भी इस रोग में आराम मिलता है।
घृतकुमारी के चिकित्सीय गुण:- एक औषधी है जिसे घृतकुमारी/ग्वारपाठा/कुमारिका आदि नामो से जाना जाता है।
इसका वैज्ञानिक नाम है एलो वेरा इनका कहना है की यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है। यह वनस्पति
त्रिदोषनाशक है, सरदर्द होने पर ग्वारपाठे के रस में थोड़ी दारुहल्दी मिलाकर सहने योग्य गरम करके दर्द वाले
स्थान पर बांधने से आराम मिलता है। फोड़े-फुंसी या घाव होने के दशा में ग्वारपाठे का गुदा सहने योग्य गर्म कर
बांध देने और उसे थोड़े-थोड़े अंतराल में बदलते रहने से फोड़ा ठीक होने लगता है और यदि फोड़ा पकने लगा हो तो
यह जल्दी पककर फूट जाता है। फोड़े के फूटने पर उसपर ग्वारपाठे के गुदे में हल्दी मिलाकर उसपर बांध देना
चाहिए। इससे से रक्त का शोधन होकर शीघ्र घाव भर जाता है। इसी प्रकार अगर किसी उभरते हुए फोड़े को पकाना
हो तो ग्वारपाठे के गुदे में थोडा सा सज्जीखार जिसे पापड़ खार भी कहते है उसे और हल्दी को मिलाकर सूजन
वाले स्थान पर बांध देने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।


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