विश्व राजनीति का नया दौर

asiakhabar.com | April 23, 2022 | 3:43 pm IST
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-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-

चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग यूक्रेन के सवाल पर अब भी रूस का साथ दिए जा रहे हैं। वे रूस के हमले को
हमला नहीं कह रहे हैं। उसे वे विवाद कहते हैं। यूक्रेन में हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग देश छोड़कर भाग
खड़े हुए लेकिन रूसी हमले को रोकने की कोशिश कोई राष्ट्र नहीं कर रहा है। चीन यदि भारत की तरह तटस्थ
रहता तो भी माना-जाता कि वह अपने राष्ट्रहितों की रक्षा कर रहा है लेकिन उसने अब खुले-आम उन प्रतिबंधों की
भी आलोचना शुरु कर दी है, जो नाटो देशों और अमेरिका ने रूस के विरुद्ध लगाए हैं। चीनी नेता शी ने कहा है
कि ये प्रतिबंध फिजूल हैं। सारा मामला बातचीत से हल किया जाना चाहिए। यह बात तो तर्कसंगत है लेकिन चीन
चुप क्यों है? वह पूतिन और बाइडन से बात क्यों नहीं करता? क्या वह इस लायक नहीं है कि वह मध्यस्थता कर
सके? वह तमाशबीन क्यों बना हुआ है? उसका कारण यह भी हो सकता है कि यूक्रेन-हमले से चीन का फायदा ही
फायदा है। रूस जितना ज्यादा कमजोर होगा, वह चीन की तरफ झुकता चला जाएगा। चीन आगे-आगे रहेगा और
रूस पीछे-पीछे ! रूस की अर्थव्यवस्था इतनी कमजोर हो जाएगी कि मध्य एशिया और सुदूर एशिया में भी रूस का
स्थान चीन ले लेगा। शीतयुद्ध के जमाने में अमेरिका के विरुद्ध सोवियत संघ की जो हैसियत थी, वह अब चीन
की हो जाएगी। चीन ने संयुक्तराष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस के पक्ष में वोट देकर पूतिन के हाथ
मजबूत किए हैं ताकि इस मजबूती के भ्रमजाल में फंसकर पूतिन गल्तियों पर गल्तियां करते चले जाएं। चीन ने
यूक्रेन में हो रहे अत्याचारों को भी पश्चिमी प्रचारतंत्र की मनगढ़ंत कहानियां कहकर रद्द कर दिया है। पूतिन का
साथ देने में शी ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं। वे एक पत्थर से दो शिकार कर रहे हैं। एक तरफ वे अमेरिका को
सबक सिखा रहे हैं और दूसरी तरफ वे रूस को अपने मुकाबले दोयम दर्जे पर उतार रहे हैं। हो सकता है कि पूतिन
ने जो यूक्रेन के साथ किया है, वैसा ही ताइवान के साथ करने का चीन का इरादा हो। अमेरिका ने जैसे झेलेंस्की
को धोखा दे दिया, वैसे ही वह ताइवान को भी अधर में लटका सकता है। यदि अंतरराष्ट्रीय राजनीति इसी पगडंडी
पर चलती रही तो विश्व के शक्ति-संतुलन में नए अध्याय का सूत्रपात हो जाएगा। द्वितीय महायुद्ध के बाद
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का जो ढांचा बन गया था, उसे पहले सोवियत-विघटन ने प्रभावित किया और अब यूक्रेन पर
यह रूसी हमला उसे एकदम नए स्वरुप में ढाल देगा।


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