सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस के जवाब से असंतुष्ट, नया हलफनामा दायर करने का आदेश

asiakhabar.com | April 22, 2022 | 4:58 pm IST
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कथित धर्म संसद मामले में दिल्ली पुलिस के जवाब पर
नाराजगी व्यक्त करते हुए शुक्रवार को नया हलफनामा दायर करने का आदेश पारित किया।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका की खंडपीठ ने सवाल किया कि हलफनामा दाखिल
करने वाले संबंधित अधिकारी ने इस मामले में संबंधित अन्य पहलुओं पर विचार किया या फिर बिना सोचे विचारे
जांच रिपोर्ट फिर से पेश कर दी।
शीर्ष अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आप इस (अपने जवाब पर पर) फिर से विचार करना चाहते हैं?
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने जवाब दिया, "हमें फिर से देखना
होगा और एक नया हलफनामा दाखिल करना होगा।" इस पर न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को सोच विचार कर एक
'बेहतर नया हलफनामा' 4 मई तक दायर करने का आदेश पारित किया।
शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई के लिए नौ मई को करेगी।
यह अदालत हालांकि,हिमाचल प्रदेश में इसी प्रकार के कथित धर्म संसद में कथित नफरती भाषणों के खिलाफ दायर
याचिका पर 26 अप्रैल को सुनवाई करेगी। इस मामले में शीर्ष अदालत ने हिमाचल सरकार से जवाब दाखिल करने
को कहा था।
दिल्ली पुलिस ने 14 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर करके कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली
में पिछले साल दिसंबर में आयोजित 'धर्म संसद' कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नरसंहार का आह्वान के
आरोप निराधार एवं काल्पनिक हैं। दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा था कि शिकायत निराधार होने के कारण इस
मामले को बंद कर दिया गया है।
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली पुलिस उपायुक्त ईशा पांडे ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर करके दिल्ली पुलिस का पक्ष
रखा था। हलफनामे में कहा गया था कि शिकायत के आधार पर संबंधित वीडियो क्लिप और अन्य सामग्रियों की
मुकम्मल जांच की गई। दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि जांच में आरोप के मुताबिक कोई भी तथ्य ऐसा नहीं
पायागा, जिसके आधार पर यह अर्थ निकाला जा सके कि किसी विशेष समुदाय के प्रति नफरत फैलाने की कोशिश
की गई। हलफनामे में जांच का हवाला देते हुए कहा गया था कि कार्यक्रम में किसी धर्म विशेष के खिलाफ नफरत
फैलाने वाले शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
पिछले साल 19 दिसंबर को गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास बनारसीदास चांदी वाला सभागार में हिंदू युवा वाहिनी
द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नफरती भाषण देने के आरोप लगाए गए थे।
दिल्ली पुलिस के हलफनामे में कहा गया है कि कार्यक्रम में किसी भी समूह, समुदाय, जातीयता, धर्म या विश्वास
के खिलाफ नफरत वाले वक्तव्य नहीं दिए गए थे।
हलफनामे में कहा गया था कि भाषण किसी के धर्म को उन बुराइयों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करने
के लिए सशक्त बनाने से संबंधित था।
हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि भाषण में उन शब्दों के इस्तेमाल नहीं किए गए, जिससे माना जाए कि
किसी भी धर्म, जाति या पंथ के बीच माहौल बिगाड़ने कि कोई कोशिश की गई।
याचिकाकर्ताओं द्वारा पुलिस अधिकारियों के सांप्रदायिक घृणा फैलाने वाले कथित अपराधियों के साथ सांठगांठ के
आरोपों का भी खंडन हलफनामे में किया गया था। हलफनामे में कहा गया था कि शिकायतकर्ताओं की ओर से
लगाए गए आरोपों का कोई आधार नहीं है, क्योंकि मामला वीडियो टेप साक्ष्य पर आधारित है।
दिल्ली पुलिस का यह भी कहना था कि शायद ही किसी जांच एजेंसी की ओर से सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या
किसी भी तरह से जांच में बाधा डालने की गुंजाइश है।

कथित धर्म संसद में नफरत ही भाषण के खिलाफ पत्रकार कुर्बान अली और अन्य ने याचिकाएं दायर की थी।


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