नई दिल्ली। मोदी सरकार ‘चीफ ऑफ डिफेंस’ स्टाफ की नियुक्ति करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके तहत वायु, नौ और थल सेनाध्यक्ष में से किसी एक को तीनों सेनाओं की कमान सौंपी जाएगी।
कारगिल युद्ध की वजहों को जांचने के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय समिति ने पहली बार ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ बनाने की सिफारिश की थी। इसके बाद मंत्री समूह ने भी इस तरह की बात कही।
मंत्री समूह ने तर्क दिया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किसी एक सेनाध्यक्ष को तीनों सेनाओं की कमान सौंपना देश के हित में रहेगा। उसके बाद से सरकारों ने मामले को लटकाए रखा। लेकिन सूत्रों का कहना है कि ताजा चुनौतियों के मद्देनजर मोदी सरकार इस मसले पर गंभीरता से विचार कर रही है। डोकलाम विवाद व कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ को देखते हुए इस पर सार्थक चर्चा हो रही है।
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि चीन जैसी महाशक्ति से लोहा लेने के लिए सेना का मजबूत स्थिति में होना जरूरी है और सरकार ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ नियुक्त करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
OROP पर विचार-
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वन रैंक वन पेंशन योजना पर अपनी रिपोर्ट देने वाले एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट को फिर से देखा जा रहा है। पटना हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी ने इस पर रिपोर्ट तैयार की थी। जिसे सरकार ने इसे पांच सितंबर 2015 में लागू कर दिया था।
इसके बाद भी कुछ पूर्व सैनिक अभी भी जंतर-मंतर पर इसके विरोध में धरना दे रहे थे। सरकार ने उनकी शिकायत पर संज्ञान लिया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण रेड्डी से इस मसले पर फिर से चर्चा कर रही हैं। उधर, सरकार एक अन्य मसले पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसमें देखा जा रहा है कि मिलिट्री अफसरों की तुलना में आर्म्ड फोर्स हेडक्वार्टर कैडर के स्टेटस में किस तरह की विभिन्नता है।
उधर, दक्षिणी कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया ने सोमवार को चेन्नई के तंजावुर एयर फोर्स स्टेशन पर युद्ध की तैयारियों का जायजा लिया। स्टेशन मास्टर्स वारंट ऑफिसर कांफ्रेंस में शिरकत करने आए भदौरिया ने कार्यप्रणाली पर संतोष जताया।