दार्जलिंग से श्याम कुमार राई :
सृजना सुब्बा। ये नाम आशा और इच्छाशक्ति के संयुक्त मिसाल की एक महिला की है। जो देश की भावी पीढ़ी को पढ़ने में रूचि जगाकर समाज-देश को मजबूत बनाने की दिशा की ओर चल पड़ी है। आप मानती हैं कि कोर्स की पुस्तकों के अतिरिक्त स्वाध्याय उन्नत और प्रगतिशील दिल-दिमाग को तैयार करने में पुख्ता बुनियाद की भूमिका अदा करती है।
पेशे से बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पोखरेबुंग, नागरी फार्म, चाय बागान, दार्जिलिंग की शिक्षिका सृजना जी अपने इस उद्देश्य को, सपने को साकार करने के लिए दार्जिलिंग से लगभग 35 किलोमीटर दूर अवस्थित एक पहाड़ी गांव नागरी फार्म चाय बागान में *द बुक थीफ ओपन लाइब्रेरी* की स्थापना कर एक अनूठी पहल की है। इस मुहिम के तहत उन्होंने अपने क्षेत्र के बच्चों को पुस्तकें पढ़ने के लिए उत्साहित और प्रेरित करने का अभिनव प्रयास कर रही हैं। जहां अब आसपास और दूर-दराज के बच्चे भी आने लगे हैं।
बात सन् 2017 की है जब उन्होंने अपनी कार बेचकर उसके गैराज को लाइब्रेरी बना दिया। केवल व्यक्तिगत बूते पर स्थापित यह लाइब्रेरी अपने आप में अनूठी इसलिए है क्योंकि इसमें कोई दरवाजा नहीं है। सामने से खुला है मतलब लाइब्रेरी हमेशा खुली रहती है। किताबें पढ़ने में दिलचस्पी लेने वाले बच्चे किसी भी समय लाइब्रेरी आ सकते हैं। चाहे वहीं बैठकर पढ़ सकते हैं या किताबें-पत्रिकाएं ले जा सकते हैं। जिसे वे लौटा भी सकते हैं और मन किया तो अपने पास भी रख सकते हैं। इसलिए तो लाइब्रेरी के नाम में ही थीफ भी है और ओपन (खुला) भी लगा हुआ है।
सृजना जी बताती हैं कि बल्कि बच्चे खुद ही ईशू रजिस्टर में किताबें ले जाने-वापस करने का लेखा-जोखा रखते हैं। इतना ही नहीं बच्चों में लेखन-संभाषण की कला को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कार्यक्रम एवं कार्यशाला का आयोजन भी किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि उनके काम की सराहना और प्रशंसा करते हुए इंडिया रीडिंग ओलिंपियाड एवं युनाइटेड गोरखा कम्युनिटी इंडिया-हांगकांग ने प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किए हैं। वो हमें इन प्रशस्ति-पत्रों को दिखाती हुईं बताती हैं कि इनसे उनका हौसला दूना हो गया है।
सृजना जी अपने नाम के अनुरूप बालक-बालिकाओं के हृदय तल में पठन-पाठन की रुचि सृजन करने में जी-जान से लगी हुई हैं। और जैसा हमने पाया कि उनकी यह कोशिश रंग ला रही है।
अभी पिछले महीने के अंतिम सप्ताह की बात है जब मैंने स्टेनथल टी एस्टेट निवासी सुबास चामलिंग, शिब कुमार प्रधान एवं प्रसीद तामंग के साथ इस अनूठे लाइब्रेरी को देखने का कार्यक्रम बनाया। जहां हमें *द बुक थीफ ओपन लाइब्रेरी* की संस्थापक-संचालक सृजना जी के साथ रूबरू बातें करने का और लाइब्रेरी के बारे में जानने-समझने का सुअवसर मिला। लाइब्रेरी के प्रति उनका जोश, लगन और उत्साह यह उम्मीद जगाती हैं कि उनके द्वारा बाली गई नन्ही सी लौ एक दिन अवश्य मशाल बनकर देश-समाज को रोशन करेंगी। सभी पुस्तक प्रेमियों की ओर से मैं यही हार्दिक कामना करता हूं।