सीबीआई ने 1,200 करोड़ रुपये के सब्सिडी घोटाले में नया मामला दर्ज किया

asiakhabar.com | March 19, 2022 | 5:19 pm IST
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नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2000 में हुए कथित 1,200 करोड़ रुपये के
सब्सिडी घोटाले में एक नया मामला दर्ज किया है। इलाहबाद हाईकोर्ट ने पाया था कि मामले में जांच सही ढंग से
नहीं हुई है और इसमें सघन जांच की जरूरत है। संघीय जांच एजेंसी 21 मार्च को मामले में प्रगति रिपोर्ट दाखिल
करेगी।
2000 में, उज्‍जवल ट्रेडिंग कंपनी, झांसी द्वारा मदन महादेव फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल प्राइवेट लिमिटेड को रॉक
फॉस्फेट की आपूर्ति की गई थी। यूपी सरकार के कृषि विभाग से सब्सिडी मिलती थी। हालांकि, बाद में यह पाया
गया कि रॉक फॉस्फेट की आपूर्ति कभी नहीं की गई और पूरी राशि का गबन कर लिया गया।
यूपी सरकार ने 2000 में घोटाले का पता लगाया जिसके बाद कृषि विभाग ने जांच शुरू की और यह पता चला कि
वित्तीय वर्ष 1998-99 और 1999-2000 के दौरान, 3,396.025 मीट्रिक टन रॉक फॉस्फेट और 6080.32 मीट्रिक
टन सिंगल सुपर फॉस्फेट की बिक्री और खरीद मदन माधव फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड का दावा
झूठा था। 48,18,243 रुपये का गबन और सरकार से दावा की गई सब्सिडी को झूठा पाया गया।
इसके बाद यूपी पुलिस ने 2004 में फर्मो सहित 20 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 2019 में यूपी
पुलिस ने सिर्फ दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। बाद में इस मामले में 2021 में तीन लोगों के
खिलाफ पूरक आरोप पत्र भी दाखिल किया गया और महादेव फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल लिमिटेड को क्लीन चिट दे
दी गई। लेकिन कोर्ट जांच से संतुष्ट नहीं था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोट किया था, महादेव फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल लिमिटेड को मामले में क्लीन चिट दी गई
थी, लेकिन यह नहीं दिखाया गया था कि कैसे और किन परिस्थितियों में क्लीन चिट दी गई और शेष 1,152

करोड़ रुपये का क्या हुआ। जांच दोषपूर्ण प्रतीत होती है और मामले में आगे की जांच को व्यापक बनाने की
आवश्यकता है।
मदन महादेव फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल प्राइवेट लिमिटेड को रॉक सामग्री की आपूर्ति करने वाली उज्‍जवल ट्रेडिंग
कंपनी, झांसी के वकील ने तर्क दिया कि कंपनी के वास्तविक मालिक आशुतोष कुमार मोदी थे, अविनाश कुमार
मोदी (उनके भाई) नहीं थे। फर्म 1995 में बंद हो गई थी, लेकिन यूएन मोदी, उनके सीए, ने फर्म को कागजों पर
जीवित रखा और वास्तविक मालिक की अनुमति के बिना लेनदेन किया और इस तरह मालिक और उनके भाई
निर्दोष थे। अब संघीय जांच एजेंसी ने जवाब तैयार करने के लिए एक टीम बनाई है जिसे 21 मार्च को दाखिल
किया जाएगा।


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