हरिद्वार। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शनिवार को उत्तराखंड में हरिद्वार के देव संस्कृति
विश्वविद्यालय पहुंचे और उन्होंने नवस्थापित दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन करते हुए कहा
कि सरकारी कामकाज में मातृभाषा का प्रयोग होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने आज एशिया के प्रथम बाल्टिक सेंटर का
निरीक्षण भी किया। इस अवसर पर श्री नायडू ने कहा कि हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति तथा मातृभाषा का प्रचार
प्रसार होना चाहिए और नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं और जड़ों से विमुख नहीं होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा
कि शिक्षा व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊंचा उठाती है और स्वयं को पहचानने एवं जीवन में सफल होने के लिए
उसका काफी योगदान रहता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए अधिक जोड़ दिया गया है जबकि
आजादी के बाद से भारत में लागू शिक्षा पद्धति पर मैकाले की शिक्षा काही प्रभुत्व दिखाई देता है जो हमें हमारी
संस्कृति और परंपराओं से दूर करती जा रही थी अब नई शिक्षा पद्धति में इन्हीं विसंगतियों को दूर करते हुए छात्र
छात्राओं को अपनी संस्कृति और विरासत को पहचानने के साथ-साथ मातृभाषा में भी पढ़ने की सहूलियत दी गई है।
श्री नायडू ने सरकारी कामकाज और आम व्यवहार में भी मातृभाषा के प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि प्रशासनिक
कार्यों तथा न्यायिक कार्यो में भी इसका अधिक से अधिक प्रयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा हमारी
संस्कृति और विरासत को पहचानने के साथ-साथ नई पीढ़ी को प्रकृति से कभी जोड़ना चाहिए प्रकृति से जुड़कर ही
हम स्वस्थ मानसिकता एवं जीवन स्तर ऊंचा उठा सकते हैं।
उन्होंने कोरोना महामारी का उदाहरण देते हुए कहा इसका प्रभाव उन क्षेत्रों में ज्यादा पड़ा था जहां शहरों में हरियाली
कम थी और आबादी बहुत ही घनी थी जबकि जहां पर पेड़ पौधे और आबादी का घनत्व बहुत कम था वहां इस
बीमारी का प्रभाव को कम देखा गया इसलिए पर्यावरण और प्रकृति भी हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव डालती है।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे थे और वहां पर भारतीय
संस्कृति का बहुत प्रभाव था आज भी एशियाई देशों के साथ हम और अधिक संबंध प्रकार कर सकते हैं इसमें
भारतीय संस्कृति परंपरा महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकती है।
उपराष्ट्रपति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में की गई शुरुआत की सराहना करते हुए कहा कि
यहां पर वैदिक शिक्षा योग एवं आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए अनेक काम किए जा रहे हैं जिससे छात्रों के संपूर्ण
व्यक्तित्व के विकास के साथ-साथ उसे अच्छी शिक्षा भी प्राप्त हो रही है और वह स्वयं को पहचान कर एक अच्छा
व्यक्ति बन रहे हैं जो उनके और देश के भविष्य के लिए बहुत ही सुखद पहलू है। उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय
परिसर में शौर्य दीवार का लोकार्पण किया तथा महाकाल की पूजा भी की उन्होंने वृक्षारोपण भी किया। इस अवसर
पर प्रदेश के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति
चिन्मय पंड्या ने उपराष्ट्रपति की अगवानी की और स्मृति चिह्न प्रदान कर उनका स्वागत किया।