शिमला। हिमाचल में विधानसभा चुनाव के मैदान में आठवीं पास से लेकर पीएचडी तक के उम्मीदवार हैं। वर्तमान में विधानसभा चुनाव लड़ रहे 338 प्रत्याशियों में एक आठवीं पास, एक नौवीं पास और छह प्रत्याशी दसवीं पास हैं। तेरह प्रत्याशी बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त हैं।
बड़ी संख्या में इंजीनियर, मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टरी का पेशा छोड़कर भी प्रोफेशनल लोगों को राजनीति अपनी ओर खींच लाई है। शिक्षा की सर्वोच्च डिग्री पीएचडी हासिल करने के बाद चार लोगों ने सियासत करना उचित समझा।
चुनावी जंग लड़ रहे उम्मीदवार ऐसे हैं, जोकि स्नातक व स्नातकोतर शिक्षा प्राप्त हैं। छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से स्नातकोत्तर हैं।
दसवीं पास आपके नेता –
दसवीं पास शैक्षणिक योग्यता रखने वाले छह प्रत्याशियों में राजघराने से संबंध रखने वाली विजय ज्योति सेन हैं। इसके अतिरिक्त किशोरी लाल, रमेश धवाला व मुल्खराज प्रेमी के नाम शामिल हैं। बल्ह से इंद्र सिंह गांधी ने आईटीआई से सर्वेयर का डिप्लोमा कर रखा है।
बारहवीं पास भी हैं खास –
पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, महेश्वर सिंह पिछली सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। बारहवीं तक शिक्षा प्राप्त प्रत्याशियों में पवन काजल, जिया लाल कपूर, वंशी लाल, सतपाल रायजादा, बलबीर सिंह वर्मा, डीएस ठाकुर व विनय के नाम शामिल हैं।
धूमल, सुक्खू कौल सहित 18 एलएलबी –
यदि दसवीं व बारहवीं पास चुनाव मैदान में हैं तो ऐसे लोगों की भी भरमार है, जो कानून की शिक्षा लेकर राजनीति में आए हैं। उनमें प्रेम कुमार धूमल, सुखविंदर सिंह सुक्खू, विजय अग्निहोत्री, कौल सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, राकेश, प्रेम, हर्षवर्धन सिंह चौहान, कुलदीप सिंह पठानिया, मोहन लाल ब्राक्टा, संजय रतन, विपिन सिंह परमार, रणधीर शर्मा, नरेंद्र बरागटा, कुलदीप, रामलाल, जीवन ठाकुर, गुलाब सिंह ठाकुर के नाम शामिल हैं।
चुनाव लड़ रहे हैं टेक्नोक्रेट्स –
मौजूदा विधानसभा में चार विधायक ऐसे हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग की फील्ड को छोड़कर राजनीति में कदम रखा है। जीएस बाली लंबे समय से राजनीति कर रहे हैं। बाली के अतिरिक्त यादवेंद्र गोमा, चेतराम, राजेश, राकेश, सुरेंद्र व आदित्य इंजीनियर का पेशा छोड़ भाग्य आजमा रहे हैं।
दोनों डॉ. राजेश मेडिसिन विशेषज्ञ –
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी के मेडिसिन विभाग में विभागाप्रमुख डॉ. राजेश कश्यप ने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आने का कदम उठाया है। इसी तरह से डॉ. बीरूराम किशोर एक बार फिर से चुनाव मैदान में हैं। बीएमएस करने के बाद डॉ. राजीव बिंदल व डॉ. राजीव सहजल राजनीति में लंबे समय से हैं। कांगड़ा से निर्दलीय मैदान में उतरे डॉ. राजेश शर्मा भी इसी पेशे से जुड़े हैं। मेडिसिन के एमडी डॉ. राजेश पीजीआइ में भी सेवाएं दे चुके हैं।
सबसे बड़ी डिग्री भी –
शिक्षा के क्षेत्र में पीएचडी को सबसे बड़ा खिताब माना जाता है। लेकिन विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय में प्रोफेसर प्रमोद शर्मा अब राजनीतिक प्रबंधन कर रहे हैं। सेना में सेवा देने के बाद कर्नल धनीराम, डॉ. रामलाल, संगीत विषय में पीएचडी डॉ. सुभाष लंबे समय से सियासत करते आ रहे हैं।
आठवीं पास भी दौड़ में –
सत्ता की दौड़ में आठवीं पास भी शामिल हैं। मंडी जिले के नाचन हलके से कांग्रेस प्रत्याशी लाल सिंह कौशल आठवीं तो द्रंग हलके से भाजपा प्रत्याशी जवाहर ठाकुर नौवीं पास हैं।