नई दिल्ली। स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली कवच का परीक्षण कर भारतीय रेलवे
शुक्रवार एक नया इतिहास रचने जा रही है। परीक्षण के दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कोच में मौजूद रहेंगे।
रेलवे के मुताबिक दो ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से विपरीत दिशा में चलाया जायेगा। लेकिन
कवच के कारण ये दोनों ट्रेन टकराएंगी नहीं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार ने कवच डिजिटल सिस्टम को रेड
सिग्नल या फिर किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गलती दिखाई देती है, तो ट्रेनें भी अपने आप रुक जाती
हैं। इसलिए टक्कर की आशंका 0 फीसदी है।
रेलवे का दावा है कि कवच दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली है। इस लगाने पर 50
लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर
करीब दो करोड़ रुपये है। शुक्रवार को इसका परीक्षण किया जाएगा। एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी कुमार मौजूद
रहेंगे, तो दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन मौजूद रहेंगे।
रेलवे के अनुसार सिकंदराबाद में देश में विकसित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली कवच का टेस्ट किया जाएगा। इसमें दो
ट्रेनें पूरी रफ्तार के साथ विपरीत दिशा से एक दूसरे की तरफ बढ़ेंगी। कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल
मार्ग पर भी लगाने की योजना है।
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। कवच को जीरो
एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा
(एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन
को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी
मिलेगी।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवीय त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को
नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जाएगी। कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख
रुपये प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब
दो करोड़ रुपये है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए सिकंदराबाद
पहुंचेंगे। एक अधिकारी ने कहा, हम दिखाएंगे कि टक्कर सुरक्षा प्रणाली तीन स्थितियों में कैसे काम करती है –
आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर।
कवच प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक कवच
एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। एक बार इस
प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन
की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया
गया है।
साल 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को कवच
के तहत लाने की योजना है। दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर
मार्ग पर लगाया गया है। कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी
कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है।
जानकारी के मुताबिक कवच एक एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है जो कि रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर,
ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक कवच के तहत जब दो आने वाली ट्रेनों पर
इसका उपयोग होगा तो ये तकनीक उन्हें एक दूसरे का आँकलन करने में और टकराव के जोखिम को कम करने में
ऑटोमेटिक ब्रेकिंग एक्शन शुरूकर देगी। इससे ट्रेनें टकराने से बच सकेंगीं।