भारत के पांच रहस्यमय मंदिर

asiakhabar.com | March 4, 2022 | 5:33 pm IST

भारत जहां कण कण में भगवान बसते हैं, जहां धर्म और आस्था को जीवन माना जाता है। यहां पर धार्मिक और
तीर्थ स्थलों का यूं तो अम्बार है और हर स्थल की कोई न कोई मान्यता है। भारतीयों में आस्था और विश्वास की
पकड़ इतनी मजबूत है कि वो इसके सहारे बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार कर जाते हैं। भारत में मथुरा, कशी,
हरिद्वार, अयोध्या और द्वारका जैसे कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल तो हैं ही लेकिन कुछ ऐसे भी जो थोड़े अनोखे और
हैरान कर देने वाले हैं। आप को हम यहां ऐसे ही कुछ स्थलों में से 5 रहस्यमय और अनोखे तीर्थस्थल के बारे में
बताने वाले हैं।
पद्मनाभ मंदिर केरल:- पद्मनाभ मंदिर केरल को वो रहस्यमयी मंदिर है जहां बेशुमार खज़ाना छुपा हुआ है, जिसके
आगे दुनिया की बड़ी से बड़ी दौलत भी तुत्छ लगती है। इस मंदिर की देखभाल त्रावणकोर का राज परिवार करता है
जो आज भी इस पद्मनाभ स्वामी के छठे तहखाने को खोलने की अनुमति किसी को नहीं देता। परिवार को डर है
कि अगर मंदिर के छठे तहखाने का दरवाजा खुला तो अपशकुन हो सकता है। हम आपको यहां बता दें कि 136
साल पहले इस दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन बीच में ही एक अनजान डर के कारण दरवाजा
खोले बगैर इसे बंद कर दिया गया।
ऐसा कहा जाता है कि जब छठे दरवाजे को जब खोला गया था तो दरवाजे के पीछे से पानी की तेज धार जैसी
आवाज आने लगी। ऐसा लगा मानों दरवाजे के पीछे समंदर उफान मार रहा है। इससे वहां के पुजारी बुरी तरह से
डर गए थे उन्हें ऐसा लगा कि सर्वनाश बेहद ही करीब है। 136 साल गुजर चुका है, लेकिन पद्मनाभस्वामी मंदिर
के छठे दरवाजे का राज अब तक राज ही है। राज परिवार के एक सदस्य़ के मुताबिक छठे तहखाने में एक गुप्त
सुरंग है। जो सीधे समंदर में जाकर खुलती है और इस तहखाने में कई ऐसे राज दफन हैं, जिन्हें उजागर करना
अच्छा नहीं है। कहा जाता है की इस सुरंग में एक विशालकाय कई सिरों वाला किंग कोबरा और नागों का झुण्ड है
जो इस खज़ाने की हिफाज़त करते हैं। है ना, यह एक रहस्यमय मंदिर जिसके बारे में सुन कर रोंगटे खड़े हो जाते
हैं।

करनी माता का मंदिर, बीकानेर राजस्थान:- करनी माता का यह मंदिर जो बीकानेर, राजस्थान में स्थित है बहुत ही
अनोखा और असाधारण मंदिर है। इस मंदिर में रहते हैं लगभग 20 हज़ार काले चूहे। विश्वास नहीं होता ना?
लेकिन यह सच है यह मंदिर जो करणी देवी को समर्पित है बहुत ही प्रसिद्ध है लाखों के संख्या में पर्यटक और
श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। करणी देवी जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है, इस करणी
देवी के मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है।
यहां चूहों को काबा कहते हैं और इन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने
चूहे है कि आपको पांव को घिसट कर चलना पड़ेगा अगर एक चूहा भी आपके पैरो के नीचे आ गया तो अपशकुन
माना जाता है। कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुज़र गया तो आप पर देवी की कृपा
हो गयी समझो और यदि आपने सफ़ेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण हुई समझो। है ना, बिलकुल
अनोखी बात?
भंन्डेश्वर जैन मंदिर, बीकानेर, राजस्थान:- बीकानेर जिले में स्थित भंन्डेश्वर जैन मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर
पाश्र्वनाथजी को समर्पित हैद्य और इस मंदिर की जो बात सबसे अनोखी है वो ये है कि इसकी नींव में 40000
किलोग्राम शुद्ध घी का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में तीन मंजिलें हैं और मंदिर के अंदर के भाग को सोने
की पत्तियों की चित्रकारी से इस तरह सजाया गया है कि आंखे खुली रह जाती है। यह मंदिर सफ़ेद संगमरमर और
लाल पत्थर की खूबसूरत नक्काशी के लिए भी मशहूर है। इस मंदिर की कांच की कारीगरी भी आपका दिल चुराने
के लिए काफी है। क्यों हैं ना ये बिलकुल अलग बात कि किसी मंदिर को बनवाने के लिए गारे में पानी की जगह
घी का इस्तेमाल किया गया हो।
ज्वाला मंदिर, हिमाचल:- हिमाचल स्थित ज्वाला मंदिर को बाकी 51 शक्तिपीठों में से सबसे ऊपर है। इसके बारे में
यह मान्यता है कि जब भगवान शंकर मां सती को कंधे पर उठा कर घूम रहे थे तो माता की जीभ यहां गिर पड़ी
थी। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी। हज़ारों साल पुराने मां ज्वाला देवी के मदिर में जो 9 ज्वालाएं प्रज्वलित
है, वो 9 देवियां महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, चंडी, विन्धयवासिनी, हिंगलाज भवानी, अम्बिका और
अंजना देवी के ही स्वरुप हैं। कहते हैं कि सतयुग में महाकाली के परम भक्त राजा भुमिचंद ने स्वप्न से प्रेरित
होकर यह भव्य मंदिर बनवाया था। जो भी सच्चे मन से इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन के लिए आया है उसकी
सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
चयनीस काली मंदिर, कोलकाता:- कोलकाता के टंगरा जिले में स्थित है यह विचित्र चीनी काली देवी का मंदिर।
काली पूजा के दिन टंगरा के रहने वाले सभी चीनी निवासी इस मंदिर के सामने एकत्र होते हैं। इस मंदिर का पुजारी
एक बंगाली ब्राह्मण है जो रोज़ सुबह और शाम की आरती के लिए इस मंदिर में आता है। कहते हैं कि किसी पेड़
के नीचे एक काले रंग का पत्थर सिन्दूर से रंग हुआ मिला था उसी दिन से उस जगह पर मंदिर बना कर काली
जी को पूजा जाने लगा। इस मंदिर का प्रशाद ऐसा हो जो शायद ही किसी और मंदिर में मिलेगा। जी हां, यहां पर
आपको जब नूडल्स का प्रशाद मिलेगा तो आप भी अचरज में पड़ जायेंगे। और भक्त यहां पर नूडल्स, चॉपसूइ,
चावल और सब्ज़ी चढ़ा कर काली जी को प्रसन्न करते हैं।


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