भारतीय गांवों की सैर विदेशी पर्यटकों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है। यहां के घर, बच्चों के खेल, महिलाओं
का ओढना-पहनना, खेत-खलिहान, दैनिक गतिविधियां, अर्थव्यवस्था आदि उन्हें इतने आकर्षित करते हैं कि पर्यटक
महीनों यहां डेरा डाले रहते हैं। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार पिछले वर्ष देश भर में 66 लाख विदेशी सैलानी आए,
जिनसे करीब 17.75 अरब डॉलर की कमाई हुई। मंत्रालय ने प्रत्येक वर्ष इनकी संख्या में 12 फीसदी बढोत्तरी का
लक्ष्य रखा है ताकि वर्ष 2016 तक पर्यटन से विदेशी मुद्रा की कमाई दोगुनी की जा सके। स्किल्ड युवाओं के लिए
इस फील्ड में संभावनाओं के असीमित द्वार हैं। पर्यटन आज सांस्कृतिक पहचान पुख्ता करने के साथ रेवेन्यू अर्जित
करने का भी जरिया बन रहा है। ऐसे में स्थानीय सरकारें देश में पर्यटन को बढावा देने की पुरजोर कोशिश कर रही
हैं।
टूरिस्ट गाइड का कार्य:- किसी भी देश की सामाजिक, सांस्कृतिक परंपराओं से पर्यटकों को अवगत कराने में टूरिस्ट
गाइड की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। टूरिस्ट गाइड पर्यटकों के साथ रहकर उन्हें जाने-अनजाने और अनछुए पहलुओं
से वाकिफ कराते हैं। यही वो कारण है जिसके चलते आज टूरिस्ट गाइड एक आकर्षक कॅरियर विकल्प के तौर पर
अपनी जगह बना चुका है। संबंधित देश के टूरिस्ट गाइड राज्य क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी के साथ-साथ
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक पर्यटन संबंधी जानकारी रखने के साथ ट्रेवल एजेंसी व बडे-बडे होटलों की जानकारी रखते हैं।
देश में टूरिस्ट गाइड के लिए भारतीय पर्यटन और ट्रेवल विभाग से टूरिस्ट गाइड का लाइसेंस लेना होता है।
लाइसेंस प्राप्त करने के लिए परीक्षा उत्तीर्ण करनी पडती है।
जरूरी स्किल्स:-
-अंग्रेजी-हिन्दी के साथ विदेशी भाषाओं पर पकड
-संस्कृति एवं रीति-रिवाजों से जुडाव
-क्राइसेस मैनेजमेंट का ज्ञान
-एडवेंचरस नेचर
-इतिहास की जानकारी
-बढिया इंटर पर्सनल स्किल्स
कोर्स और क्वालिफिकेशन:- देश के अलग-अलग संस्थान टूरिज्म ट्रैवल एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट में शॉर्ट टर्म
डिप्लोमा कोर्स संचालित करते हैं, जिसमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रैवल एंड टूरिज्म (आईआईटीएम) सबसे खास है,
तो वहीं संबंधित राज्य व केंद्र सरकारों के पर्यटन विभाग भी टूरिस्ट गाइड ट्रेनिंग कोर्स आयोजित करते हैं। जिन्हें
पास करने पर आपको सर्टीफाइड गाइड का लाइसेंस मिलता है। टूरिज्म के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं
के लिए जरूरी है कि वे इस क्षेत्र में औपचारिक शिक्षा भी ग्रहण करें। देश में विभिन्न संस्थान एवं विश्वविद्यालय
टूरिज्म में डिप्लोमा, बैचलर डिग्री एवं मास्टर्स डिग्री प्रदान करते हैं। डिप्लोमा कोर्स की अवधि अमूमन एक वर्ष
होती है, जिसे ग्रेजुएशन के बाद किया जा सकता है। आईसीसीआर इस क्षेत्र में जूनियर फेलोशिप भी प्रदान करता
है।
कॅरियर ऑप्शन:- स्थानीय पर्यटन उद्योग, राष्ट्रीय पर्यटन उद्योग, होटल इंडस्ट्री, टैवल एजेंसी, एविएशन, कार्गो
ऑपरेशन, हॉस्पिटेलिटी आदि में टूरिस्ट गाइड के लिए अवसर बाट जोह रहे हैं। टूरिज्म उद्योग के विस्तार से
टूरिस्ट गाइड का स्कोप बढा है। मेहनती, कुशल और ईमानदार युवा चाहें तो भारत की संपन्न विरासत से अपने
लिए समृद्ध भविष्य की राह खोज सकते हैं। पर्वतों के पीछे से होने वाला उत्तर का सूर्योदय हो या दक्षिण के
विशाल समुद्र में सूर्यास्त, प्रकृति ने दोनों हाथों से भारत पर सौंदर्य की छटा बिखेरी है। भारत सरकार भी अब
ग्रामीण पर्यटन को बढावा देने के लिए कदम उठा रही है। जो लोग बहुत ज्यादा दौडभाग नहीं कर सकते हैं, उनके
लिए भी यहां संभावनाएं हैं। स्थानीय स्वाद में स्पेशलाइजेशन करते हुए आप छोटे रेस्टोरेंट, फास्ट फूड कॉर्नर आदि
भी पर्यटकों के लिए खोल सकते हैं, क्योंकि बटर चिकन या मटर पनीर तो कहीं भी खाया-खिलाया जा सकता है।
बाहर से आने वाला पर्यटक उस स्थानीय स्वाद का अनुभव करना चाहता है, जो कहीं और न मिलता हो।