उच्च शिक्षा से महिला सशक्तिकरण

asiakhabar.com | March 2, 2022 | 3:29 pm IST
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-डा. वरिंदर भाटिया-
महिला उच्च शिक्षा के सवाल पर सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शीर्ष निर्णायक समिति
की वार्षिक बैठक से पहले इसकी महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति ने कहा है कि लड़कियों को उपयुक्त शिक्षा
अर्जित करने के बाद ही विवाह करना चाहिए, लेकिन शादी की उम्र ‘थोपने’ से वांछित परिणाम शायद नहीं मिल
पाएंगे। इसकी प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 11 मार्च से शुरू होगी, जहां महिलाओं की शादी की उम्र 18
से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। दिसंबर में संसद के
शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने महिलाओं की शादी की उम्र पुरुषों की भांति ही
18 से 21 करने के प्रस्ताव संबंधी एक विधेयक पेश किया था। लेकिन लोकसभा ने यह विधेयक बाद में व्यापक
चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया। सरकार ने इस प्रस्तावित कानून को समाज में लड़कों
और लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम बताया है। समाज की राय के अनुसार
कुछ इसके पक्ष में हैं तो कुछ इसके विरोध में भी हैं। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के संबंध में हमारे समाज
में दोनों प्रकार के विचार हैं, लेकिन यह मान लेना होगा कि महिलाओं की शादी की उम्र जैसे सामाजिक मुद्दों पर
कुछ कानून थोपने से शायद वांछित परिणाम नहीं मिलेगा।
ऐसे मुद्दों से जन-जागरूकता एवं व्यापक विचार-विमर्श के बाद निपटना बेहतर होता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट
के अनुसार बैठक से पहले आरएसएस ने स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं के लिए शादी की उम्र पर सरकार द्वारा
प्रस्तावित कानून पर उसका मतभेद है और उनका मानना है कि ऐसे मुद्दों को समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
उसका यह भी मानना है कि हिजाब विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और इसे स्थानीय स्तर पर ही
सुलझाया जाना चाहिए था। यह विचार काफी ठीक है। आज भी आदिवासियों में या ग्रामीण क्षेत्रों में शादियां जल्दी
हो जाती हैं। सरकार का तर्क है कि यह शिक्षा को रोकता है और इसके परिणामस्वरूप प्रारंभिक गर्भावस्था होती है।
लेकिन सरकार भी इस मुद्दे को आगे बढ़ाने की जल्दी न करे तो ठीक है। सामाजिक मामलों में कानून का डंडा
समाज का बैलेंस बिगाड़ सकता है। हमें कुछ चीजें समाज पर छोड़ देनी चाहिए। महिला शिक्षा खास तौर पर उच्च
शिक्षा, देश के विकास और महिला को सामाजिक तौर पर ताकतवर बनाने के लिए जरूरी है। यकीनन महिला की
जल्द शादी उनकी बेहतर शिक्षा की और कैरियर बनाने की इच्छा को प्रभावित करती है। लड़कियां अक्सर कहती हैं
कि उन्होंने आगे बढ़ना था और पढ़ना था, पर घर वालों ने जल्दी शादी कर दी। यह ठीक नहीं लगता। शादी के
बाद पति और ससुराल पक्ष से आगे बढ़ने के लिए सहयोग जरूरी है जो अधिकतर मामलों में महिलाओं को नहीं
मिल पाता। भारतीय परिवारों को महिला शिक्षा को मजबूती देने के लिए अपनी रूढि़वादी सोच बदलनी चाहिए।
यह सोच महिला की सामाजिक ताकत बढ़ाने में बड़ी रुकावट है। एक महिला के लिए अपनी निहित योग्यता को
साबित करने का पीरियड 18 से 28 साल का माना जा सकता है। जल्द शादी से यह काबीलियत गर्त में चली
जाती है। अपनी जल्द शादी के लिए महिला अपने अभिभावकों को सामाजिक कारणों से मना नहीं कर पाती है। हमें
नहीं लगता कि आने वाले वक्त में काफी महिलाएं इन पारिवारिक हुक्मनामों को सलाम कर सकेंगी। हमारे सभ्य
समाज को इसे बारीकी से विचारना होगा। सरकारों को महिला रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए।
ऐसा सामाजिक माहौल बनना चाहिए जिसमे महिला शिक्षा को महत्त्वपूर्ण माना जाए। हमें देश में महिला शिक्षा को
सरकारी स्तर पर फ्री कर देना चाहिए ताकि मां-बाप के ऊपर आर्थिक बोझ न महसूस हो। महिला को शिक्षा से

वंचित कर जल्द शादी का एक यह भी कारण है। किसी भी परिवार, समाज या राष्ट्र को समृद्ध होने के लिए
महिला व पुरुष दोनों को समान अधिकार देने चाहिए। जैसे कि किसी रथ में लगे दो चक्र यदि एक भी छोटा या
बड़ा हो जाए तो रथ अच्छे से चल नहीं पाता है और उसकी शोभा भी खराब होती है। उसी प्रकार यदि किसी समाज
या राष्ट्र को समृद्ध बनाना हो तो उसमें महिला और पुरुष को समान उच्च शिक्षा अधिकार देना आवश्यक है।
औरतों को उनके अधिकारों का ज्ञान भी हो सके और इन सब चीजों के लिए औरतों का उच्च शिक्षित होना बहुत
महत्त्वपूर्ण है।
काफी लड़कियों को घरेलू समस्याओं के कारण स्कूल-कॉलेज छोड़ना पड़ जाता है। स्कूल का दूर होना, यातायात की
अनुपलब्धता, घरेलू काम, छोटे भाई-बहनों की देखरेख, आर्थिक व विभिन्न सामाजिक समस्याएं आदि, इन सभी
दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आज महिला सशक्तिकरण में उच्च शिक्षा की कारगर भूमिका है। हमें सत्य
स्वीकारना होगा कि यदि महिला उच्च शिक्षित होगी तो वो अपने अधिकार को अच्छे से जान पाएगी। उसे घर और
बाहर अपने अधिकारों के लिए लड़ने में कोई समस्या नहीं होगी। वो अपने पैरों पर खड़ी होकर पुरुष के बराबर कमा
सकती है। यदि कोई उसका शोषण करने की कोशिश करे तो उसे अपनी सहायता कैसे करनी है, ये पता उसे होगा।
समाज को आगे बढ़ाने में शिक्षित महिला अपना पूरा स्पोर्ट दे पाएगी। यदि वो पढ़ी-लिखी होगी तो वो अपने घर में
और लोगों को भी अच्छे संस्कार और शिक्षा देने में कारगर होगी। शिक्षित महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में
कुछ ज्यादा जानकारी नहीं देनी होती है। उन्हें हर चीज पहले से ही पता होती है। शिक्षित महिला के अंदर
आत्मविश्वास खुद-ब-खुद आ जाता है और वो सभी कार्यों को अच्छे से करने में सहायक होती है। यदि महिला
शिक्षित है तो वो और महिलाओं को उनके अधिकार समझाने में सहायक होगी। इससे सभी जागरूक होंगे और देश
और महिला, दोनों आगे बढ़ेंगे। आज के जमाने में संपूर्ण समाज के चहुंमुखी विकास के लिए महिला का उच्च
शिक्षित होना जरूरी है। इसलिए महिलाओं को उच्च शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।


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