अगरतला। त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के नेता माणिक सरकार ने आरोप लगाया है कि
राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के शासन के पिछले
चार वर्षों के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है।
माणिक सरकार ने सोमवार को दक्षिण त्रिपुरा के कमालपुर जिले में पत्रकारों से कहा, ‘‘पिछले चार वर्षों में माकपा
के 24 नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई और किसी मामले में न्याय नहीं किया गया। चीजें उस तरह
से आगे नहीं बढ़ेंगी जिस तरह से वे (भाजपा-आईपीएफटी) सोचते हैं।’’
वैसे, सत्तारूढ़ भाजपा-आईपीएफटी की सरकार ने 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद त्रिपुरा में राजनीतिक हत्याओं
के आरोपों का खंडन किया है।
भाजपा के प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्जी ने दावा किया, ‘‘यह पहली मौका है जब 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद
कोई राजनीतिक हत्या नहीं हुई है। पहले, हम चुनावों के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा देखते थे।’’
भाजपा-आईपीएफटी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में एकतरफा शासन
स्थापित है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं हो रहे हैं।’’
माणिक सरकार ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले जिन लोगों को बेवकूफ बनाया गया था, उन्हें
एहसास होने लगा है कि उन्होंने भाजपा को वोट देकर बहुत बड़ी गलती की है।
उन्होंने सुदीप रॉय बर्मन और आशीष साहा के भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने का अप्रत्यक्ष रूप से
उल्लेख करते हुए कहा, “भाजपा विधायक, जो पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए , वे खुले तौर पर भाजपा के
नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना कर रहे हैं। अब, वे हाथ जोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए पछता रहे हैं।”