अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सही-गलत में अंतर करने और सही फैसले लेने में सक्षम बने तो उसे खुद
की गलतियों से सबक लेने का मौका दें। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में यह
पाया है कि इक्कीसवीं सदी के माता-पिता अपने बच्चों को लेकर जरूरत से ज्यादा सजग हो गए हैं। वे चैबीसों घंटे
उन पर नजर गड़ाए रखना चाहते हैं, जिससे आजकल ज्यादातर बच्चे नाकामियों से उबरने में असमर्थ हैं। उन्होंने
कहा कि अच्छे व्यक्तित्व के विकास के लिए थोड़ा जोख्िाम उठाना जरूरी है।
इसलिए छोटी उम्र से ही बच्चों को गिरते-संभलते हुए खुद ही चलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। सीखने की प्रक्रिया
के दौरान बच्चों से गलतियां होना स्वाभाविक है, पर इन छोटी-छोटी गलतियों से होने वाले नुकसान के डर से उन्हें
सीखने से रोकना अनुचित है।