नई दिल्ली। जिला अदालत की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने मंगलवार को दिल्ली उच्च
न्यायालय से एक वकील के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया है। वकील पर आरोप है
कि उक्त न्यायाधीश के वकील रहते उसने उन पर हमला किया था और इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद
उसने न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने दलील दी है कि किसी भी दोषी को अदालत को धमकाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी की पीठ ने पूर्व न्यायाधीश सुजाता कोहली से कहा कि
वह एक सप्ताह के भीतर कथित घटना का सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्ड पर पेश करें ताकि अदालत अवमानना के
मामले में प्रथम दृष्टया मत बना सके।
पीठ ने कहा, “अदालत की कार्यवाही और मर्यादा का पालन कैसे हो इसके बारे में हम चिंतित हैं। अगर आप रिकॉर्ड
पर सीसीटीवी फुटेज पेश करें तो हमें सहायता मिलेगी। हम अवमानना को गंभीरता से लेते हैं।”
दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को गत वर्ष 29 अक्टूबर को, एक निचली
अदालत ने हमले के मामले में दोषी ठहराया था।
कोहली ने आरोप लगाया था कि अगस्त 1994 में खोसला ने उन्हें बालों से पकड़कर खींचा था। उच्च न्यायालय में
दायर याचिका में कोहली ने दावा किया कि सजा सुनाने के मुद्दे पर निचली अदालतों की कार्यवाही को खोसला
और उनके समर्थकों ने “हाईजैक” कर लिया और उसमें बाधा पहुंचाई।
उन्होंने आरोप लगाया कि दोषी ठहराए जाने के बाद खोसला ने बार संस्थाओं को एकजुट करने की अपील की और
वे उसके साथ मिलकर हड़ताल पर चले गए। कोहली ने कहा कि खोसला का आचरण अदालत के भीतर भी
आपत्तिजनक है।
याचिका में कहा गया, “दोषी/प्रतिवादी (खोसला) ने सामाजिक समूहों इत्यादि पर सामग्री प्रकाशित कर हड़ताल के
समर्थन में भीड़ जुटा ली और अदालत का बहिष्कार किया। इसके अलावा अदालत के भीतर बड़ी संख्या में वकील
उपस्थित हुए और कुर्सियों पर खड़े होकर नारेबाजी की। न्यायाधीश को पक्षपाती कहा और 95 प्रतिशत न्यायाधीशों
को भ्रष्ट कहा।” कोहली ने अदालत में कहा कि इस मामले में कोई व्यक्तिगत दुराग्रह नहीं है और उन्होंने देश की
एक नागरिक होने के नाते अवमानना का मामला दायर किया है।