बाकू भेडिये का बाग

asiakhabar.com | February 4, 2022 | 3:13 pm IST
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-ब्रजमोहन शर्मा-
हाथी सोचने लगा, मेरा नाम राजा तो है, अगर मैं सचमुच में ही राजा बन जाऊं तो कितना अच्छा होगा। सभी
जानवर मेरा आदेश मानेंगे। हाथी ने राजा बनने के लिए हां कह दी। लेकिन बाकू ने हाथी को मारने के लिए पहले
ही योजना तैयार कर ली थी।
एक था बाकू भेडिया। वह बहुत चालाक और खूंखार था। उसके पास एक बहुत सुन्दर बाग था। उस बाग में बहुत
सारे पेड़ थे। उन पेड़ों पर खूब रंग-बिरंगे फूल और फल लगे हुए थे। उस बाग के पास होकर जो भी गुजरता, उसकी
तारीफ किये बिना नहीं रहता। लेकिन कोई भी जानवर बाकू के बाग में घुसने की हिम्मत नहीं करता था। कोई
गलती से फल तोड़ने के लिए घुस भी जाता तो बाकू चुपके से उसका शिकार कर लेता था।
एक दिन रंकी खरगोश अपने दोस्त कंचू कछुआ के साथ घूमने के लिए निकला। दोनों घूमते-घूमते काफी थक गये
थे और उन्हें भूख भी लग रही थी। तभी कंचू को एक बाग दिखाई दिया, जिसमें बहुत सारे पेड़ थे और उन पर
फल लगे हुए थे। कंचू बोला- दोस्त, यह तो बहुत सुन्दर बाग है। इस बाग में से कुछ फल तो तोड़ लो। रंकी बोला-
यह बाकू भेडिया का बाग है। अगर उसने हमें फल तोड़ते हुए देख लिया तो वह हमें पकड़कर खा जाएगा। बहुत

खूंखार है वह। चलो आगे चलते हैं। तभी सामने टिंकी बंदर और राजा हाथी आते दिखाई दिये। उन्होंने पूछा- क्या
बात है रंकी और कंचू? कैसे यहां खड़े हो? रंकी बोला- हमें बहुत जोर से भूख लगी है। लेकिन इस बाग से फल
तोड़ने में डर लग रहा है कि कहीं बाकू भेडिये ने पकड़ लिया तो हमें मार डालेगा।
राजा हाथी बोला- चिंता क्यों करते हो, आओ मेरे साथ। तुम्हें खूब फल खिलाऊंगा इसी बाग से। राजा हाथी ने तीनों
को अपनी पीठ पर चढ़ा लिया और उन्हें खूब फल खिलाए। बाकू चुपचाप एक कौने में ये सब देख व सुन रहा था।
लेकिन हाथी के लंबे-चैड़े आकार वाले शरीर को देखकर वह उससे कुछ नहीं कह पाता था। उसने हाथी से बदला लेने
की सोची।
एक दिन सुबह-सुबह बाकू राजा हाथी के पास पहुंचा और बोला- श्रीमान, आप देखने में जितने विशाल हैं, उतने ही
दयालू हैं। आप सबकी सहायता भी करते हैं। आप जैसा विशाल शरीरवाला और ताकतवर पूरे जंगल में कहीं नहीं है।
अगर आप हमारे इस जंगल के सचमुच के राजा बन जाएं तो हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात होगी। हाथी सोचने
लगा, मेरा नाम राजा तो है, अगर मैं सचमुच में ही राजा बन जाऊं तो कितना अच्छा होगा। सभी जानवर मेरा
आदेश मानेंगे। हाथी ने राजा बनने के लिए हां कह दी। बाकू ने हाथी को मारने के लिए पहले ही योजना तैयार कर
ली थी। जब बाकू अपनी योजना के अनुसार राजा हाथी को राजतिलक के लिए अपने साथ ले जाने लगा तो हाथी
ने पूछा- मुङो कहां चलना होगा। बाकू ने कहा- हमारे लोग फूलवन में रहते हैं, जो यहां से थोड़ी दूर है। वहां हमारे
लोगों ने आपको राजा बनाने की पहले से ही तैयारी कर रखी है। वहां पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा। आप मेरे साथ
चलिए।
हाथी बाकू के साथ चल दिया। बाकू थोड़ी तेजी के साथ चलने लगा और हाथी से बोला- मुझे जल्दी पहुंच कर कुछ
इंतजाम करना है। आप पीछे से आ जाना। यह सीधा रास्ता है। राजा हाथी धीमे-धीमे चलने लगा। रास्ते में एक
दलदली जगह पड़ती थी, जिसे भेडिया उछल कर पहले ही पार कर गया और दूर से आवाज लगाने लगा, महाराज,
जल्दी-जल्दी आइये। रास्ता एकदम साफ है। राजा हाथी जैसे ही उस दलदली जगह पर पहुंचा तो उसके पैर गड़ने
लगे। हाथी ने बाकू को सहायता के लिए आवाज लगाई, लेकिन बाकू भेडिया ने पीछे उसे देखा ही नहीं और तेजी के
साथ आगे भाग गया। राजा हाथी उस दलदल में फंस गया था, लेकिन कुछ मगरमच्छों ने उसे उस दलदल से बड़ी
मुश्किलों से निकाला। राजा हाथी को अब समझ आ गया कि यह तो उसे मारने का प्लान था। हाथी को पैरों में
काफी चोट आई थी। वह कई दिनों तक घर पर ही पड़ रहा था। एक दिन टिंकी बंदर राजा हाथी के पास गया तो
उसे सब बात बतायी। राजा ने टिंकी से कहा- अब बाकू को सबक सिखाना है। टिंकी तैयार हो गया।
एक दिन राजा हाथी टिंकी बंदर के साथ बाकू के बाग में चुपके से पहुंचा। बाकू उस समय आराम कर रहा था।
राजा हाथी को देखते ही वह हैरान हो गया। वह तुरंत उठा और बोला- महाराज, आप यहां। मैं तो समझा था कि
आपका मन बदल गया है, इसलिए उस दिन हमारे यहां राजतिलक के लिए नहीं पहुंचे। कहिए अब मैं आपकी क्या
सेवा करूं। हाथी बोला- हमें कुछ मीठे फलों की जरूरत है। बाकू ने कहा- मेरे पास कुछ फल रखे हुए हैं। अभी ला
देता हूं।
हाथी बोला- नहीं, मुझे ये फल नहीं चाहिए, मेरी आंखों के सामने तोड़े हुए फल चाहिए। बाकू बोला- तो मैं और तोड़
देता हूं। हाथी बोला- नहीं, आप क्यों कष्ट करते हो? यह टिंकी है न। यह तोड़ लेगा। टिंकी अपने साथ कई बंदरों
को लेकर आया था, जो इधर-उधर छुप हुए थे। हाथी ने जैसे ही इशारा किया, टिंकी तुरंत पेड़ पर चढ़ गया और पूरे

पेड़ को हिला डाला। उसके साथियों ने भी सभी पेड़ों को हिला-हिलाकर फल गिरा दिये और पेड़ों की डालियों को भी
तोड़ डाला। यह सब देखकर बाकू भेडिया परेशान हो गया। उसका बाग उजड़ रहा था। वह किसी से कुछ नहीं कह
पा रहा था। सोच रहा था कि अगर मैं हाथी से पंगा नहीं लेता तो मेरा यह बाग नहीं उजड़ता। राजा हाथी टिंकी
बंदर के साथ सब फल लेकर घर चला गया और बाकू देखता ही रह गया।


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