नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि उन्हें गर्भपात के लिए अपने पति की सहमति की जरूरत नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला एक तलाकशुदा व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी बालिग महिला को अपने बच्चे को जन्म देने और गर्भपात करना के अधिकार है और उसके लिए उसे अपने पति की अनुमति लेना जरूरी नहीं है।
दरअसल अदालत जिस याचिका पर सुनवाई कर रही थी उसमें तलाकशुदा व्यक्ति ने अपनी पूर्व पत्नी के अलावा उसके माता-पिता, भाई और दो डॉक्टरों पर बिना उसकी सहमति के पत्नी का गर्भपात कराने का आरोप लगाया था।
उसकी शादी 1994 में हुई थी और एक साल बाद उसके यहां बच्चा हुआ। 1999 में पारिवारिक कलह के चलते पत्नी उसके मायके चली गई लेकिन 2003 में वो फिर प्रेगनेंट हुई और गर्भपात करवा लिया।