जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में सड़क निर्माण एवं खराब सड़काें
की मरम्मत सरकार की प्राथमिकता बताते हुए सड़कों की गुणवत्ता बनाए रखने के साथ उच्च स्तरीय अधिकारियों
द्वारा इस पर निगरानी पर जोर दिया। श्री गहलोत गुरूवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित सार्वजनिक
निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी मंशा है कि प्रदेश में शानदार
सड़कें बने। सड़कों की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के लिए सिस्टम तैयार हो ताकि आमजन को अच्छी सड़कें मिलें। श्री
गहलोत ने कहा कि पिछले तीन वर्ष में करीब 20 हजार करोड़ रूपए लागत के सड़क निर्माण एवं मरम्मत कार्यों
की घोषणा की गई है। हर जिले में सड़क निर्माण की घोषणाओं में कोई कमी नहीं रखी गई है। प्रत्येक विधायक के
क्षेत्र में पांच करोड़ रूपए की सड़कों के कार्य करवाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अधिकारी गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करें एवं वरिष्ठ अभियंता फील्ड में जाकर
सड़क निर्माण कार्याें की गुणवत्ता जांच करें। उन्होंने नोन पेचेबल सड़कों का कार्य प्राथमिकता से करने के निर्देश देते
हुए कहा कि जहां स्थिति ज्यादा खराब है, वहां मरम्मत कार्य पहले हों। साथ ही डिफॉल्ट लायबिलिटी पीरियड में
सड़कें खराब होने पर समय पर मरम्मत सुनिश्चित करने एवं राज्य सरकार द्वारा की गई बजट घोषणाओं के कार्य
समय पर पूरा करें।
बैठक में सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद
प्रदेश में खराब सड़कों का सर्वे करवाया गया, जिसमें 15710 किलोमीटर नोन पेचेबल सड़कें मिली, जिनमें से इस
वित्त वर्ष में 6776 किलोमीटर सड़कों की स्वीकृतियां जारी कर दी गई, शेष सड़कों के लिए स्वीकृतियां अगले वित्त
वर्ष में प्रस्तावित हैं। श्री यादव ने बताया कि इस वित्त वर्ष में 995 करोड़ रूपए लागत की 3227 किमी लम्बाई के
1523 कार्यों की स्वीकृतियां जारी की गई हैं। 653 करोड़ रूपए की मिसिंग लिंक एवं 342 करोड़ रूपए की नोन
पेचेबल सड़कों की स्वीकृतियां जारी की गई हैं।