नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को
बुधवार को मंजूरी दे दी। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब एक वर्ष से दिल्ली की सीमा पर लगभग 40 किसान संगठन
विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की
घोषणा की थी। इसी पृष्ठभूमि में कुछ ही दिन बाद मंत्रिमंडल ने कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक,
2021 को मंजूरी दी है।
लोकसभा सचिवालय के बुलेटिन के अनुसार, 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन
कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक पेश किये जाने के लिये सूचीबद्ध है।
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार
और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा
करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी।
इनके विरोध में करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कानूनों को रद्द
करना है। सरकार ने जहां इन कानूनों को किसानों की आय बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया था वहीं किसानों ने
कहा कि ये कानून उन्हें कॉरपोरेट घरानों के आश्रित कर देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों के संदर्भ में कहा था कि वे
देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहते हैं कि शायद उनकी तपस्या में ही
कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य किसान भाइयों को वो समझा नहीं पाए।
उन्होंने कहा था, 'हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का, निरस्त करने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत
में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर
देंगे।'
प्रधानमंत्री ने किसानों से अपील की थी कि वे अपने-अपने घर लौटें, अपने खेत औ अपने परिवार के बीच लौटें।
इस बीच, किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत सरकार के समक्ष रखी गई अपनी छह मांगें दोहराते हुए सोमवार को कहा था
कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक वह आंदोलन जारी रखेगा।
एसकेएम ने यह भी कहा था कि दिल्ली की सीमाओं पर उसका आंदोलन तब तक समाप्त नहीं किया जाएगा, जब
तक तीनों संबंधित कृषि कानूनों को संसद में औपचारिक तौर पर निरस्त नहीं कर दिया जाता। उनकी मांगों में
लखीमपुर खीरी घटना से जुड़े केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को गिरफ्तार एवं बर्खास्त करने की मांग तथा
किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने तथा आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिये स्मारक
बनाना शामिल है।
इसमें 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021' में किसानों
के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को हटाने की भी मांग भी शामिल है।